युक्ती में शक्ति, पढ़िए यह रोचक कहानी
एक घनघोर जगंल था, जगंल के बाजु में एक छोटा सा गाव था। उस गाव में एक भोला नाम का आदमी और उसकी पत्नी रहते थे। भोला बहुत ही आलसी एवं कामचोर था, जिसकी वजह से वो हमेशा अपने पत्नी से डाट खाता था।
भोला नाई का काम करता था और उसकी पत्नी लोगो के घरो में बर्तन माँजती थी। एक दिन भोला अपना काम खत्म करके शहर से वापस पैदल चलते चलते आ रहा था। पैदल चलते-चलते वह जगंल तक पहुँच गया था, क्योंकि उसका गाँव जंगल से होकर गुजरता था।
जब वह जगंल तक पहुंचा तो वह थक गया था, उसे प्यास भी लग गई थी। पाणी पीकर वो थोड़ी देर एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गया, बैठे-बैठे उसकी आँख लग गई। तभी कुछ देर बाद अचानक जोर से हंसने की आवाज आई और जंगल के सभी प्राणी और पक्षी इधर-उधर भागने लगे।
प्राणियों की हलचल से भोला की आँख खुली तो उसने देखा की उसके सामने एक बड़ा सा राक्षस खड़ा था। भोला बहुत ही डर गया और चिल्लाने लगा- कोई मुजे बचाव, कोई मुजे बचाव।
राक्षस ने ऊँचे आवाज में बोला.. क्या तुम्हे पता नही, इस पेड़ के नीचे जो भी बैठता है वो मेरे हाथों से मारा जाता है। भोला ने कहा.. क्या है इस पेड़ में जो तुम मुझे मारना चाहते हो।
राक्षस बोला.. पेड़ में नही, पेड़ के नीचे जो गढ़ा हुआ खजाना है, मै उसकी रक्षा करता हूं। जब भी उसे कोई चुराने की कोसिस करता है तो में मार डालता हूँ।
तब भोला के दीमाग में एक युक्ति आई, भोला जोर-जोर से हसने लगा, तब राक्षस बोला। तुम हस क्यों रहे हो? तब भोला बोला.. मैं कौन हूँ, तुम मुझे जानते नही हो, मुझे राजा ने भेजा है, तुम्हारी आत्मा को वश में करने के लिए। उसके बाद भोला ने आईना निकाला और राक्षस को उसकी सकल दिखाई।
राक्षस बोला.. नही, तुम मुझे छोड दो, तुम मेरी आत्मा को क्यों वश में करना चाहते हो? भोला ने कहा.. क्योकि राजा के बहन की शादी नही हो रही है, इसलिए एक महान पंडित जी ने राजा को 101 राक्षस के आत्मावों की बली चढाने के लिए कहा। इसलिए राजा ने मुझे तुम्हारे जैसे राक्षसो के आत्मा की बली चढाने के लिए हजार स्वर्ण मृद्राये दिए है और तुम मेरी आखरी बली हो।
राक्षस ने कहा.. अगर आप मेरी आत्मा को छोड़ देते है, तो मै तुम्हे ये पूरा खजाना दे दुगाँ, जिसे तूम पूरे जीवन भर कभी ख़त्म नही कर पाओगे। भोलाने कहा.. अगर तुम मुझे यह खजाना दे रहे हो तो मैं भी तुम्हारी आत्मा को छोड़ दूंगा।
राक्षस ने सारा खजाना भोला को दे दिया, फिर भोला ने आईने को गोल घुमाया और उल्टा करके दिखाया। राक्षस को लगा की अब मेंरी आत्मा आजाद हो गई है, इसलिए वह बिना समय गवाए वहां से अदृश्य होकर भाग गया।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि आगे वाला व्यक्ति कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो पर दीमाग के सामने हमेशा हार ही जाता है। भोला अगर युक्ती का प्रयोग ना करता, तो मारा जाता।
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