भारत का राष्ट्रीय चिन्ह: हमारे देश के राष्ट्रीय चिन्ह में क्या खास है? क्या आप जानते हैं कि हमारा राष्ट्रीय चिन्ह कैसे बनाया गया है. आइये जानते है इससे सबंधित जानकारी. National symbol of India in Hindi.
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह – National symbol of India in Hindi
हमारा राष्ट्रीय चिन्ह सबसे सम्मानित मुद्रा है. यह हमारे राष्ट्र का प्रतिक है. इसे सम्राट अशोक की सारनाथ सिंहमुद्रा को नमुना मानकर रुपांकित किया गया है. इसमे चार सिंह की मुद्रा है. जो चारों दिशाओं की ओर मुंह किए खड़े हैं, सिंहो के नीचे चक्र (धर्मचक्र) है इसे हम व्हील ऑफ लॉ (Wheel of law) कहते है.
उसके दोनोंं ओर घोडा, हाथी, शेर, बैल, आदि चित्रित है. मुन्द्कोप्निषद का “सत्यमेव जयते” वाक्य देवनागरी लिपी मे लिखा हुआ है. 26 जनवरी 1950 को भारत के इस राष्ट्रीय चिन्ह को स्वीकृती मिली.
भारत के राष्ट्रीय चिन्ह (National symbol of India) मे निम्नलिखित चीजो का उल्लेख है–
सम्राट अशोक – सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व हुआ था तथा उनका राजकाल ईसा पूर्व 269 – 232 तक था. वे मौर्य राजवंश के राजा थे. सम्राट अशोक बौध धर्म के प्रचारक माने जाते है.
सिंहमुद्रा – इसमे चार सिंह मुद्रित है. सिंह हमारे देश का राष्ट्रीय पशु माना जाता है. यह करीब 14 फीट लम्बा और 400 किलो वजन के लगभग होता है. यह काफी ताकतवर पशु है.
धर्मचक्र – धर्मचक्र को हम ‘व्हील ऑफ लॉ’ इस नाम से संबोधित करते है. हमारे इस धर्मचक्र में चौबीस तिलिया होती है. सभी का कोन एक सा है.
घोडा – ‘अश्व’ यह मनुष्य से जुड़ा दुनिया का सबसे पुराना पालतू जानवर है, करीब 3000 से 4000 ईसा पूर्व से यह मनुष्यों के काम आते रहे है.
हाथी – हाथी को हम राष्ट्रीय विरासत पशु मानते है. एशिया के 60 प्रतिशत हाथी हमारे भारत मे पाये जाते है, ऐसा अनुमान है. हाथी शरीर से काफी मजबूत होते है. पुराने दिनों मे जिन राजा महाराजाओं के पास हथियों की ताकत होती थी उस सेना को काफी मजबूत माना जाता था.
बैल – पुराने दिनों में, बाहरी आवक के मुख्य साधन बैल थे. किसान का सबसे सच्चा दोस्त बैल है. खेती में बुआई के लिये यही काम आतें है. बैल का उपयोग बैलगाड़ी में किया जाता था परिवार के लिये यह आने जाने का एक अच्छा साधन होता था.
सत्यमेव जयते – सत्यमेव जयते का अर्थ “सत्य ही जीतता है” “सत्य की जीत होती है” ऐसा विश्लेषण है. इस शब्द का हमारे भारतीयों के लिए बहुत महत्व है.
हमारा राष्ट्रीय चिन्ह देश के किसी भी मंत्री को नहीं दिया गया है, न ही देश के किसी भी नागरिक को. यह केवल देश की सेवा में कार्यरत सुरक्षा कर्मियों को दिया जाता है. जैसे पुलिस, सुरक्षाकर्मी, नौसेना के जवान, वायु सेना के जवान. ये उन्हें दिए गए है जो राष्ट्रीय प्रतीक हैं.
भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का महत्व सबसे विशेष है, इसका उपयोग देश के किसी भी नागरिक द्वारा सार्वजनिक रूप से नहीं किया जा सकता है. सभी भारतीयों का यह कर्तव्य है कि वह उस स्थान का सम्मान करें जहाँ वह चिन्हित है.
अगर आप इसका अपमान करते हैं तो इसे देशद्रोह भी कह सकते हैं. भारतीय संविधान के अनुसार इसका दर्जा सर्व परे है. बगैंर राष्ट्रीय मुद्रा की मोहर के दस्तावेजों का कोई मह्त्व नही रह जाता है.
Author: Nevindra
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