एक लड़की की इज्जत बचाने के लिए 84 गांव हो गए वीरान, एक रात में श्मशान बन गए 84 गांव, कुलधरा गांव की सच्ची और रहस्यमय कहानी, आगे पढ़े इससे जुडी जानकारी :

Mystery of kuldhara village

भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, जो 4000 साल से अधिक पुरानी है और जिसने कई रीति-रिवाजों और परंपराओं का संगम देखा है. यह देश की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है.

इन्ही सभ्यता के उदहारण राजस्थान के जैसलमेर का कुलधरा (Kuldhara) गांव और उसके आसपास के 84 गांव है. हमें पूरा यकीन है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको निश्चित रूप से भारत की पुरानी सभ्यताओं पर गर्व होगा, साथ ही ऐसे महान देश का नागरिक होने पर भी गर्व होगा.

यहां हम आपको कुलधरा गांव की उस घटना से रूबरू करा रहे हैं, जो पूरी दुनिया में अपनी महानता के लिए मशहूर है. ये वही कुलधरा गांव है, जिसे दुनिया रहस्यमयी गांव के रूप में जानती है, कोई इसे शापित गांव कहते है, तो कोई इसे भूतो का गांव भी कहते हैं. तो चलिए बिना देर किए हम आपको उस घटना से जुड़ी जानकारी से रूबरू कराते हैं.

 

एक लड़की की इज्जत बचाने के लिए 84 गांव हो गए वीरान

कहा जाता है कि ‘एक गांव’ एक परिवार की तरह होता है, और ‘पड़ोसी गांव’ अपने पड़ोसियों की तरह होते हैं. अगर आप इस लेख को अंत तक पढ़ेंगे तो आपको इसका सही मायने में सही अर्थ समझ आ जाएगा.

कुलधरा गांव राजस्थान की गोल्डन सिटी जैसलमेर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह गांव सन 1291 में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था. यह गांव उस समय शानदार हवेलियों के लिए काफी मशहूर था.

लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि अब यह गांव 19वीं सदी की शुरुआत से ही वीरान पड़ा हुआ है, क्योंकि इस गांव समेत आसपास के 84 गांवों के लोग भी रातों-रात अचानक से न जाने कहाँ गायब हो गए.

 

इसके पीछे की कहानी

कहा जाता है कि कुलधरा गांव समेत आसपास के 84 गांवों में सिर्फ पालीवाल ब्राह्मण ही रहते थे. पालीवाल ब्राह्मण बहुत मेहनती और बुद्धिमान थे. एक बार गांव के दौरे के दौरान, वहां के ‘दीवान सालिम सिंह मोहता‘ की नज़र उस गांव की एक खूबसूरत लड़की पर पड़ी.

दीवान सालिम सिंह मोहता महारावल मूलराज सिंह के राज्य काल का सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में एक था. यह बहुत ही क्रूर और बुरे स्वभाव वाला, अय्याश और रंगीन मिजाज का शौकीन था.

वह किसी भी तरह से उस लड़की को पाना चाहता था और उसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकता था. गांव वाले उसकी उन हरकतों से भली भांति परिचित थे.

एक दिन सालिम सिंह ने गांव के मुखिया से मिलकर उस खूबसूरत लड़की से शादी करने की इच्छा जाहिर की, लेकिन मुखिया ने उसे साफ़-साफ़ मना कर दिया. इस पर सालम सिंह को बहुत गुस्सा आया और उसने उस लड़की से जबरदस्ती शादी करने और गांव को तबाह करने की धमकी दी.

गांव वाले उसके गुस्से और क्रूरता से वाकिफ थे, वे जानते थे कि वह किसी भी समय उस लड़की को जबरन उठा सकता है. इसलिए 84 गांवों के सभी पालीवाल ब्राह्मण पालीवाल काठोडी मंदिर में एकत्र हुए और इस मुद्दे पर उन्होंने सविस्तर चर्चा की और संकल्प लिया कि वे अपनी जन्मभूमि-कर्मभूमि भले ही छोड देंगे लेकिन सालिम के अत्याचारों के आगे शीश नहीं झुकाएंगे और न ही उसकी हवस पूर्ति के लिए अपनी बहू-बेटियों को उसे सौपेंगे.

अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए एवं उस लड़की के सम्मान और इज्जत को बचाने के लिए 84 गांव के सभी पालीवाल ब्राह्मणों ने रातों-रात गांव छोड़ने का फैसला किया और वे सभी उसी रात गांव छोड़कर चले गए.

वे सभी कहां गए, इसकी कोई भी जानकारी आज तक किसी को नहीं मिली, और इस तरह दीवान सालिम सिंह मोहता के अत्याचारों के वजह से पूरे 84 गांव उजड़ गए, श्मशान बन गए.

 

इस गांव को कभी न बसने का दिया गया था श्राप

कुछ लोगों के अनुसार पालीवाल ब्राह्मणों ने इस गांव को कभी न बसने का श्राप दिया था. ताकि उनके जाने के बाद कोई उस गांव में अपना ठिकाना न बना सके. यही कारण है कि आज तक यह गांव इसी तरह वीरान पड़ा है.

यह भी कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इस गांव में रहने की कोशिश करता है, तो वह बुरी मौत मरेगा, क्योंकि इस गांव में रहना इंसानों के लिए खतरे से खाली नहीं है.

 

इस गाव पर रुहानी ताकतों के कब्ज़ा

कहा जाता है कि अब कुलधरा गांव रुहानी ताकतों के कब्जे में है. यहां का हर खंडहर भूतों का डेरा बन गया है, यहां शाम के समय अजीबोगरीब गतिविधियां होती देखी गई हैं.

 

राजस्थान सरकार का दावा

अभी कुछ साल पहले तक इस गांव में जाने की इजाजत किसी को नहीं थी, क्योंकि इस गांव को भूतो का गांव कहा जाता था, लोगों के मुताबिक यहां भूत रहते थे, इस पर गांव पर रुहानी ताकतों के कब्ज़ा था.

लेकिन अब राजस्थान सरकार ने दावा किया है कि इस गांव में कोई भूत प्रेत नहीं रहते है. यहीं वजह है कि अब इसे सभी के लिए खोल दिया गया है और इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया है.

इस वजह से अब यहां हजारों की संख्या में लोग घूमने-फिरने आते हैं. अब यहां सिर्फ स्थानीय ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से भी लोग आते हैं. यहां देखने लायक पालीवाल घरों के मॉडल, संग्रहालय, मंदिर, पुराने घर, कैक्टस गार्डन आदि है.

लेकिन यहां आने वाले कई लोगों का कहना है कि उन्हें यहां कुछ अजीबोगरीब चीजो का अहसास होता है. जैसे यहां हर पल ऐसा अनुभव होता है कि कोई उनके इर्द-गिर्द घूम रहा है. बाजार की चहल-पहल आवाजे आती है. महिलाओं की बातें और उनकी चूड़ियों और पायल की आवाज आती है, जिससे यहां का डरावना हो जाता है.

पर्यटक यहां सिर्फ दिन में ही घूम-फिर सकते हैं, यहां रात में किसी को घूमने-फिरने या ठहरने की इजाजत नहीं है. यानी कोई भी पर्यटक यहां सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक घूम-फिर या ठहर सकता है.


 

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