भारत की एक ऐसी जगह जहां से जिंदा लौट पाना मुश्किल है, भारत की इस जगह जाने पर जान से हाथ धोना पड़ता है, यह है भारत की सबसे खौफनाक जगह, आगे पढ़े इससे जुडी जानकारी :

Bharat ki ek aisi jagah jaha se jinda laut pana muskil hai

दुनिया में कई ऐसी रहस्यमयी जगहें हैं, जो आज भी विज्ञान और वैज्ञानिकों के लिए पहेली हैं. ऐसा नहीं है कि वैज्ञानिकों ने रहस्य का पता लगाने की कोशिश नहीं की, कोशिश की है लेकिन कई कोशिशों के बाद भी उन्हें असफलता ही हाथ लगी है.

आज इस लेख में हम भारत की एक ऐसी ही रहस्यमयी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बनी हुई है. क्योंकि उस जगह पर जाकर जिंदा वापस आना मुश्किल है.

कहीं लोगों ने वहां जाने की कोशिश की है, लेकिन उन्हें इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी है. दोस्तों, यह कोई बहुत पुरानी बात नहीं है, बल्कि 20वीं सदी की ही बात है, आज भी कोई वहां जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है.

जाहिर सी बात है कि जब कोई उस जगह जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा है, तो कैसे उस जगह का रहस्य सुलझेगा, कैसे उस रहस्य से पर्दा उठेगा. जब तक कोई मनुष्य या वैज्ञानिक उस जगह नहीं जाता, तब तक वह जगह पहेली ही बनी रहेगी.

 

भारत की एक ऐसी जगह जहां से जिंदा लौट पाना मुश्किल है

यहां पर हम भारत के उस खुबसूरत आईलैंड के बारे में बात कर रहे है जिसे सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है, जहां जाने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होती है, जहां 200 सालों तक राज करने वाली अंग्रेजी हुकूमत भी अपना कब्ज़ा नहीं कर पाई.

वह जगह है- नॉर्थ सेंटिनल द्वीप (North Sentinel Island). यह दुनिया के खूबसूरत आइलैंड में से एक है. लेकिन इस जगह जाने वाले को सिर्फ मौत मिलती है, यहीं वजह है कि यहां पर कोई पर्यटक तो दूर मछुआरे तक आने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं.

 

सेंटिनली नामक आदिवासी प्रजाति का खौफ

भारत के अंडमान निकोबार (Andaman and Nicobar) द्वीप समूह में स्थित नॉर्थ सेंटिनल द्वीप (North Sentinel Island) एक ऐसी जगह है जहां सेंटिनली नामक आदिवासी प्रजाति रहती है.

महज 23 वर्ग मील फैले इस नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पर यह जनजाति 60 हजार साल से रह रही हैं. मौजूदा समय में इस जनजाति की जनसंख्या कितनी है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. और इनकी भाषा, संस्कृति और खानपान के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

इनका आधुनिक युग या इस युग के किसी भी सदस्य से कोई लेना-देना नहीं है. इस द्वीप के लोग न तो किसी बाहरी व्यक्ति से संपर्क रखते हैं और न ही किसी को अपने संपर्क में रहने देते हैं.

जैसे कि वह कहना चाहते है कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाए, उन्हें किसी की मदद नहीं चाहिए या फिर उनके इलाके में किसी का हस्तक्षेप नहीं चाहिए. और जो हस्तक्षेप करता है उसे मार दिया जाता है.

ये वो आदिवासी हैं जिनसे टकराने की हिम्मत अंग्रेजी हुकूमत में भी नहीं थी. अंग्रेजी हुकूमत ने कई बार इन रहस्यमयी आदिवासियों से टकराने की कोशिश की थी, लेकिन 200 सालों तक राज करने के बाद भी अंग्रेज इन आदिवासियों पर कभी गुलामी की जंजीर न बांध पाए.

 

वर्ष 2018 में अमेरिकी नागरिक जॉन एलेन चाउ की हत्या

जॉन एलन चाउ एक अमेरिकी नागरिक थे, जो एक ईसाई मिशनरी से जुड़े थे और इन आदिवासियों के बीच धर्म का प्रचार करने के साथ-साथ एडवेंचर भी करना चाहते थे, इसलिए वो उस जगह गए, जबकि वो जगह सरकार द्वारा प्रतिबंधित है. तभी उन आदिवासियों ने उन्हें मार डाला.

उसके बाद जॉन एलन चाउ का शव लाने पुलिस गई थी, लेकिन आदिवासियों का खौफनाक मंजर देखकर खाली हाथ वापस आ गई, क्योंकि आदिवासी तीर-कमान लेकर काफी गुस्से में थे.

इसके पहले साल 2006 में 2 मछुआरे अपनी नाव समेत भटक कर इस आइलैंड के करीब पहुंचे, तो वह दोनों जान से हाथ धो बैठे, इसी तरह इस जगह के और भी कई किस्से है.

 

सरकार की तरफ से मदद की कोशिश

जब साल 2004 में सुनामी आई, इस वक्त सरकार ने कोस्ट गार्ड के साथ हेलिकॉप्टर उस द्वीप पर भेजा, ताकि सेंटिनली आदिवासियों की सहायता की जा सके, लेकिन आदिवासियों ने हेलिकॉप्टर पर ही तीर चलाने शुरू कर दिए थे, फिर वहां से हेलिकॉप्टर को वापस लौटाना पड़ा.

ये लोग बाहरी दुनिया से बिल्कुल भी संपर्क नहीं बनाना चाहते, भले ही कोई उनकी मदद करना चाहे, और जो इस तरह की कोशिश करता है, ये लोग उस पर हमला कर देते हैं.

अब सरकार ने भी इनसे संपर्क बनाने की कोशिश छोड़ दी और इनकी जिंदगी में किसी भी तरह से दखलंदाजी न करने का फैसला लिया. हालांकि समय-समय पर द्वीप के ऊपर से प्लेन उड़ाकर देख लिया जाता है कि ये लोग ठीक हैं कि नहीं. साथ ही इनकी हिफाजत के लिए कुछ कानून भी बनाए.

इस जनजाति के बारे में लोगों का मानना है कि ये विश्व की सबसे ज्यादा खतरनाक जनजाति है. इनके जीवन या अंदरूनी मामलों में स्वयं भारत सरकार दखल देने से कतराती है.

न तो भूकंप और न ही सुनामी इनका कुछ बिगाड़ सका और न ही ब्रिटिश शासन. कुछ लोगों के अनुसार ये लोग पाषाण काल से यहां रह रहे हैं, इनमें कुछ अलौकिक शक्तियां हो सकती हैं.


 

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