जैसी करनी वैसी भरणी – जो दुसरो के लिए गड्डा खोदता हैं वो खुद उसी में गिरता हैं – लालच बुरी बला है !
एक बार 4 चोर एक बड़े जमींदार के घर में चोरी करने के लिए गये, रात के सन्नाटे में चोर घर में घुस गये और तिजोरी में से सोना पैसा लेकर जगल की और चले गये, रात का समय था, चोर जगल में पानी ढूड रहे थे, पानी मिलने पर पानी पीकर एक जगह बैठ गये, एक चोर बोला हम सब अपना-अपना हिस्सा लेकर यहाँ से चले जाते है।
चोरी का माल देखकर चारो चोरो के मन में लालच पैदा हुई, एक चोर बोला माल तो ठीक है लेकिन पहले तुम शहर जाकर कुछ खाने के लिए ले आओ, फिर हम बटवारा करेंगे, दो चोर शहर की तरफ गये, इधर जगंल में दो चोरो के मन में खयाल आया की इन्हें मारकर हम सारा माल ले जाएंगे।
ऐसा ही विचार दुसरे चोरो के मन में भी आया, उन्होंने मिठाई में जहर डालकर लाया, हात पाव धोने के बहाने से कुए के पास ले गये और पिछे से उन दो चोरो को कुए में धकेल दिया। दोनों चोर पाणी में फढफढाते हुए मर गये,
अब हमारा माल कहकर दुसरे दोनों चोर खुश होने लगे, जो मिठाई शहर से वो दो चोर लाए थे, वही मिठाई उन्होंने खाई और वो भी मर गये।
इसलिए कहते है, जो दुसरो के लिए गड्डा खोदता है वो उसी गड्डे में गिर जाता है, या फिर इसे जैसी करनी वैसी भरणी भी कहा जा सकता है। इस कहानी में लालच करने वाले और मित्रों से गद्दारी करने वाले की अंतः में कैसी हालत हो जाती इसके बारे में बताया गया है।
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