दो हंस और एक कछुआ, पढ़िए इनके दोस्ती की कहानी
दो हंस और एक कछुआ इन तीनो के बीच काफी गहरी दोस्तों थी। एक जगंल में यह तीन दोस्त बहुत ही हसी खुशी से रहते थे। एक समय उस जगंल में बारिस न होने की वजह से जगंल के पेड पौधे सुख गये, तालाब सुख गये, सभी उस जगंल को छोडकर दूसरी जगह जा रहे थे।
तभी हंस बोला.. अरे यार हमे भी चलना चाहिए, वरना हम भी इन पेड-पौधे की तरह सुखकर मर जाएगे, लेकिन भाई कछुए हमे तुमको छोडकर कहीं जाने का मन नही हो रहा है, ये कहकर हंस के आँखों में पानी आ गया।
दूसरा हंस बोला.. कछुआ हमारी तरह उड़ना जानता तो हम तीनों दोस्त उड़कर किसी और जगह चले जाते। तभी कछुए के दीमाग में एक युक्ति आई, उसने हंस से कहा.. हम तीनो उड़कर जा सकते है।
हंस बोला कैसे? कछुए ने एक मजबूत लाठी लाया और कहा कि तुम दोनो इस लाठी को दोनों तरफ से मजबूत पकडना और मै बीच में अपने दांतों से इस लाठी को मजबूत पकडूगाँ।
ये सुनकर दोनों हंस बोले.. यह युक्ति बहुत अच्छी है, लेकिन तुम हमे वचन दो कि चाहे कुछ भी हो जाए तुम अपना मुहँ बिल्कुल भी मत खोलना, कछुआ बोला नहीं खोलूँगा, ये कहकर हंसो और कछ्वे की आसमान से सवारी निकली।
तीनो आकाश में उडते हुए आनंद उठा रहे थे, जब हंसो और कछुए की ये सवारी आकाश से जा रही थी, तब एक आदमी ने दुसरे आदमी से कहा और देखते ही देखते, वहाँ भीढ़ हो गई। उनको देखकर लोग हसने लगे और कहने लगे अरे भाई देखो-देखो उड़ने वाला कछुआ।
एक आदमी बोला अरे यह कछवा तो मर चूका है, यह सुनकर कछुए को गुस्सा आया और वो बोला.. मरे मेरे दुश्मन। जैसे ही कछुए ने मुहँ खोला वैसे ही वो आसमान से धरती पर जा गिरा और वह मर गया।
दोनों हंसो ने कहा था कि किसी भी हालत में अपना मुहँ बिलकुल भी मत खोलना, लेकिन कछुआ अपना मुहँ बंद न रख सका और मर गया। हंश अपने दोस्त कछुए खोकर बहुत ही दुखी हुए और रोते हुए बोले.. अगर तुम अपना मुंह नहीं खोलते तो आज तुम हमारे साथ ही होते।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि ज्यादा गुस्सा करना, ज्यादा बोलना भी उचित नहीं होता है। अपने अन्दर सहनशीलता होनी चाहिए। हम जब किसी को वचन देते है तो उस वचन का हमें पालन भी करना चाहिए। कछुए ने अपने वचन का पालन नहीं किया और कछुआ अपना मुंह खोलकर अपनी जान गवा बैठा।
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