चीटी और कबूतर की अनोखी कहानी

चीटी और कबूतर की अनोखी कहानी

फुलवानी गाव में एक भिकू नामक व्यक्ती रहता था। वह रोज अपनी गाय और मेंढी को चराने जंगल में लेकर जाता था। एक दिन वह गाय और मेंढी चराते-चराते जंगल में कहीं दूर निकल गया। जंगल घना होने की वजह से उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि किस दिशा से घर जाना चाहिए और किस दिशा से नहीं। तभी उसे एक सुंदर कबूतर आसमान में उड़ता दिखा।

वह कबूतर बहुत ही सुंदर था। उसके पंख मानो निले आकाश में सफेद रोशनी कि तरह थे और उसकी आँखे लाल सूरज की किरणों की तरह थी। भिकू की उस कबूतर पर से नजर ही नहीं हट रही थी और वह कबूतर का पीछा करने लगा। पीछा करते–करते भिकू उस कबुतर के घोसले तक पहुंच गया। कबुतर अपने घोसले में जाकर बैठ गया।

भिकू फिर घर का रास्ता ढूंढने लगा। कुछ देर के बाद उसे घर का रास्ता मिल ही गया। वह घर जाकर अपनी मां से बोला.. मां मैने आज एक बहुत ही सुंदर कबूतर देखा, इससे पहले मैने उसके जैसा कबूतर कहीं नही देखा। मै उस कबूतर को कल जरूर घर लाउंगा। उसकी मां बोली.. बेटा उसे पालने के लिए ही ला रहे हो ना। भिकु बोला.. नही मां सब्जी के लिए ला रहा हूँ। अगर वो कबूतर इतना सुंदर है तो, सोचो उसकी सब्जी कितनी अच्छी लगेंगी।

दुसरे दिन भिकू उस जंगल में गया और उस कबूतर को ढूंढने लगा, लेकिन कहीं भी भिकू को वो कबूतर नजर नही आया। तीसरे दिन फिर भिकू जंगल गया और उस कबूतर के घोसले वाले पेड पर चढकर भी देखा, पर कबूतर वहा भी नही था। भिकू एक–दो दिनो तक यही सोचता रहा कि वो कबूतर कहा चला गया होगा, वो मुझे कहा मिलेंगा।

चीटी और कबूतर की अनोखी कहानी
चीटी और कबूतर की अनोखी कहानी

फिर कुछ दिनो बाद वर्षा ऋतू का मौसम आया। एक दिन की बात है, जब वर्षा बहुत ही होने के कारण जंगल में पाणी भरने लगा था। एक चीटी जमीन पर थी, वह वर्षा के पाणी से बह रही थी। तभी वो सुंदर कबूतर आया और उस चीटी को अपनी चोच में उठाकर उसे एक सुरक्षित जगह पर ले गया।

तब चीटी कबूतर से बोली.. हे कबूतर भाई, तुमने मेरी जान बचाई है, उसके लिए धन्यवाद। कभी मै तुम्हारे काम आ सकती हु तो मुझे जरूर बताना। कबूतर बोला तुम इतनी छोटी सी हो, मेरी मदत कैसे करोगी, यह कहकर कबूतर वहां से उड जाता है।

अगले ही दिन भिकू जंगल में गाय और मेंढी चराने के लिए आता है। अचानक उसकी नजर उस सुंदर कबूतर पे पडती है, वह मन ही मन में सोचता है कि आज मै इसे नही छोडूंगा, इसने मुझे बहुत तडपाया है। यह कहकर भिकू उस कबूतर पर तीर से निशाना लगाता है।

उतने में वह चीटी भिकू के पैर को जोर से काटती है और उसका निशाना चूक जाता है। फिर वो कबूतर इस मौके का फायदा उठाकर वहां से उड जाता है। फिर उस कबूतर को पता चलता है कि उसकी जान उसी चीटी ने बचाई है। फिर वह चीटी के पास जाकर कहता है.. चीटी बहन तुम्हारा बहुत–बहुत सुक्रिया, तुमने मेरी जान बचाई है। चीटी बोली.. उस दिन आपने मेरी जान बचाई थी, आज मैंने आपकी जान बचाई है।

 

इस कहानी से क्या सीख मिलती है

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी किसी को छोटा समझने की गलती मत करना, क्योंकी समय आने पर चीटी भी हाथी के नाक में दम कर देती है।

 

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1 thought on “चीटी और कबूतर की अनोखी कहानी”

  1. Kahani achchhi lagi . Dhanyavad

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