दो मेंढकों की कहानी

एक बार की बात है, जब मेंढकों का एक दल टहलने के लिए निकला था तो अनजाने में दो मेंढक एक गहरे गड्ढे में गिर पड़े। बाकी मेंढक उन दो मेंढकों के लिए बहुत चिंतित थे।

गड्ढा बहुत गहरा था, उनका वहां से निकलना बहुत मुश्किल था। दोनों मेंढक लगातार उस गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे पर हर बार नाकाम हो रहे थे।

यह देख बाकि मेंढक कहने लगे कि गड्ढा बहुत गहरा है, गड्ढे से निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है और कोशिश करने का भी कोई मतलब नहीं है।

बाकी के मेंढक उन दोनो मेंढकों को हिम्मत देने की बजाय उनकी हिम्मत तोड़ रहे थे। जिसके परिणामस्वरूप एक मेंढक ने अपनी हिम्मत खो दी और वहीँ पर उसकी मृत्यु हो गई।

जबकि दूसरा मेंढक लगातार बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था और उसने अंत इतनी ऊँची छलांग लगाई की वह गड्ढे से बाहर निकल ही गया। ऊपर खड़े सभी मेंढक यह देखकर चौंक गए कि इसने यह कैसे किया।

पहला मेंढक बाकी मेंढको की बाते सुनकर अपनी हिम्मत खो चूका था और उस डर से उसकी मौत हो गई। जबकि यह मेंढक बहरा था, इसने किसी की कुछ नहीं सुनी और लगातार कोशिश करता रहा और गढ्ढे से बाहर निकल गया।

 

इस कहानी से क्या सीख मिलती है

यह कहानी हमें सिखाती है कि दूसरों की राय आपको तभी प्रभावित करेगी जब आप उन पर विश्वास करेंगे, बेहतर इसी में है कि आप खुद पर ज्यादा विश्वास करे, यक़ीनन सफलता आपके कदम चूमेगी।

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