सच में यह दुनिया अजीबोगरीब चीजों से भरी पड़ी है, इस रहस्यमयी दुनिया में कब क्या देखने को मिलेगा बता पाना मुश्किल है. क्योंकि शोध के दौरान कुछ ऐसे-ऐसे रहस्य सामने आ रहे हैं जो विज्ञान और वैज्ञानिकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं.
- यहां आप पढ़ रहे है- इस जगह हजारो पक्षी एक साथ खुदकुशी (Suicide) करते हैं…
कुछ रहस्य तो वर्षो के शोध के बावजूद भी आज तक रहस्य ही बने हुए है, उन्ही में से एक है एक साथ हजारों पक्षियों के मरने का रहस्य. यह रहस्य आज तक सुलझ नहीं पाया है.
बल्कि इस रहस्य के चलते वहां के लोगों द्वारा कई तरह के बाते को सुनने को मिलती है, जैसे कोई बुरी आत्माएं इन चिड़ियों से सुसाइड करवाती हैं या कोई राक्षसी शक्ति इन चिड़ियों मारती है आदि.
एक साथ हजारों पक्षियों के सुसाइड करने का रहस्य
यहां पर हम जिस जगह की बात कर रहे है वह भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम के डिमा हसाओ जिले का एक छोटा सा गांव है, जिसका नाम जटिंगा (Jatinga) है. यह गांव गुवाहाटी से करीब 330 किमी दक्षिण में स्थित है.
जटिंगा गांव की जनसंख्या करीब ढाई हजार है और इस गांव में खासी-पनार जनजाति के लोग रहते हैं. यह गांव बेहद ही खुबसूरत है, जो चारों तरफ से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ से घिरा हुआ है.
यह गांव अपने नारंगी के बागों के लिए भी प्रसिद्ध हैं. इस गांव को जटिंगा घाटी या जतिंगा वैली (Jatinga Valley) के नाम से भी जाना जाता है. इस घाटी में स्थानीय पक्षियों की करीब 44 प्रजातियां रहती हैं. जिनमें टाइगर बिट्टर्न, ब्लैक बिट्टर्न, लिटिल इहरेट, पॉन्ड हेरॉन, इंडियन पिट्टा और किंगफिशर आदि शामिल हैं.
यह गांव अपनी खूबसूरती की वजह से कम, लेकिन पक्षियों की आत्महत्या के कारण ज्यादा चर्चा में रहता है. पहली बार 1960 में पक्षियों की आत्महत्या का रहस्य दुनिया के सामने आया था.
अब हर साल बारिश के बाद यानी सितंबर से नवंबर के महीनों में शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक पक्षियों के आत्महत्या करने की घटना होती है. यह घटना पूरी दुनिया के लिए हैरान करने वाली है, जो एक प्राकृतिक घटना जैसी ही लगती है.
इस गांव को बर्ड सुसाइड पॉइंट (Bird suicide point) भी कहा जाता है, क्योंकि कुछ लोगो के मुताबिक इस गाँव में पक्षी सुसाइड करने आते है. लेकिन पक्षी विज्ञानियों के अनुसार यह सच नहीं है, क्योंकि पक्षियों में आत्महत्या की प्रवृत्ति नहीं होती है.
इस मामले में क्या कहते है पक्षी विज्ञानी?
साल 1960 के दशक में एक ब्रिटिश भारतीय पर्यावरण प्रेमी एडवर्ड पिचर्ड गी ने सर्वप्रथम इस घटना का रहस्य दुनिया के सामने लाया था. वो मशहूर पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली के साथ जटिंगा आए थे.
दोनों ने घटना की पड़ताल की और बताया कि दिशाभ्रम, तेज हवाएं और कोहरे के कारण पक्षियों की मौत हो जाती है. प्रवासी पक्षी उत्तर दिशा से आते हैं और शाम ढलते ही दक्षिण दिशा की ओर से आती रोशनी को देखकर उसी दिशा में जाने के लिए तेजी से उड़ान भरते हैं और पेड़ों तथा पहाड़ो से टकराकर घायल होकर मर जाते हैं.
जटिंगा गांव ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा है, शाम के वक्त यहां अंधेरा गहराने लगता है. यहां कंटीले और घने जंगल होने के वजह से रोशनी भी नहीं होती है. ऐसे में उड़ते समय प्रवासी पक्षी भ्रमित हो जाते हैं और पेड़ों-पहाड़ों से टकराकर मर जाते हैं.
पक्षियों की मौत के पीछे बुरी और अदृश्य ताकते
वहां के स्थानीय लोगो के मुताबिक, यहां प्रवासी पक्षी ही नहीं, बल्कि स्थानीय पक्षी भी मरे पड़े होते है, स्थानीय पक्षियों को दिशाभ्रम नहीं हो सकता. उनका यह भी कहना है कि वे उन पक्षियों को न तो परेशान करते है और न ही उन्हें मारने की कोशिश करते हैं.
वहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक मानसून के अलावा अमावस्या और कोहरे वाली रातों में पक्षियों के आत्महत्या करने के मामले अधिक देखने को मिलते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि यह भूत-प्रेतों और अदृश्य ताकतों का काम है.
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Topic of this article: Is jagah hajaro pakshi ek sath suicide karte hai, Bird suicide point, Jatinga story in Hindi