चीटी और हाथी की रोचक कहानी
एक चीटी और एक हाथी था। एक दिन चीटी अपने घर से कुछ खाने के लिए बाहर निकली थी। तभी उसे एक हाथी दिखा, उसे देखकर वह अपने घर वापस आ गई।
फिर दुसरे दिन चीटी फिर से घर से बाहर निकल रही थी। उस दिन भी उसे हाथी दिखाई दिया। फिर उसने सोचा कि मै ऐसे ही डरूंगी, तो भूखी ही रह जाउंगी। तब वह हिम्मत का घुट पीकर अपना हौसला बुलंद करती है।
जिससे उसके मन में तरह-तरह के खयाल आते है, जैसे हाथी बडा है तो क्या हुआ, मै उससे छोटी जरुर हूँ, पर कमजोर नहीं हूँ। मुझे भी उसके नाक में दम करना आता है। जब मै उसके नाक में घूसहर उसे काटूँगी तो वह रोना बंद नहीं करेगा। लेकिन उसे डर भी लगता है, तब दूसरी चीटी उसे बताती है कि हाथी तो फुक-फुक के चलता है। हाथी जितना मोटा है उतना ही अधिक चीटी से डरता है। ऐसे में हम भले हाथी से क्यो डरे।
फिर दुसरे दिन चीटी हिम्मत करके भोजन के लिए घर के बाहर निकलती है। तभी उसे हाथी दिखाई देता है, पर वो हाथी से बिलकुल भी नही डरती है। वह खाना खोजते हुए एकदम हाथी के सामने जाकर खडी हो जाती है। उसे देखकर हाथी हसता है और हाथी उसे पुछता है.. ये चीटी तुम यहां क्या कर रही हो? फिर चीटी उसे जवाब देते हुए कहती है,.. मै अपना काम कर रही हूँ।
फिर हाथी बोलता है.. कौन सा काम? चीटी बोलती है.. हमे भूख मिटाने के लिए कुछ खाने की चीजे ढूंढना पडता है, तभी हमारी भूख मिटती है. इस पर हाथी हसता है और कहता है.. कि तू अपना साइज़ तो देख, मेरे सामने आने की हिम्मत कैसे की तूने, अगर गलती से मैंने अपना एक पैर तुझ पर रख दिया तो तु मर ही जायेगी।
इस पर चीटी हाथी को कडक आवाज में जवाब देती है.. ज्यादा इतरा मत, मै साइज़ से जरुर छोटी हु, पर मै तुमसे ज्यादा दिमाग वाली हु। यदि मै तुम्हारे नाक में घूस गयी ना, तुम्हारी सारी हवा बाहर निकल जाऐगी।
फिर हाथी बोलता है.. चलो देखते है कि कौन जीतता है और कौन हारता है। तभी उन दोनो कि लढाई सुरु हो जाती है। फिर हाथी चीटी पर पैर रखने की कोशिश करता है। तभी चीटी हाथी के पैर से चढ़ते हुए उसके नाक में घूस जाती है और वहां जोर-जोर से काटने लगती है। हाथी बहुत तडपने लगता है, रोने लगता है और चीटी से माफ़ी मांगता है।
तब चीटी कहती है.. और निकालूं तेरी दादागिरी, अब और हसेगा किसी पर, तब हाथी रोते हुए चीटी से माफ़ी मांगता है। इस तरह छोटी सी चीटी की जीत हो जाती है और उतना बडा हाथी हार जाता है।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कोई छोटा या कोई बडा नही होता है, हमारी सोच छोटी-बड़ी हो सकती है। छोटा भी बड़ों का काम कर सकता है, एक छोटी सी चीटी भी हाथी को हरा सकती है। इससे हमें यह सीख मिलती है कि किसी की कमजोरी पर बेवजह हँसे नहीं, शरीर के शक्ति से बड़ी दिमाग की शक्ति होती है।
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