आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) : इस पेज पर आप आज का पंचांग (Aaj ka panchang) क्या है और आज का पंचांग शुभ मुहूर्त देखना क्यों जरुरी होता है, इसके बारे में जानेंगे. इस पेज पर दैनिक पंचांग (Daily panchang), यानी आज की पंचांग तिथि की जानकारी प्रदर्शित की जाती है.
दोस्तों यदि आप आज का पंचांग मुहूर्त या आज का पंचांग क्या है, यह जानना चाहते है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये है, क्योंकि इस पेज आपको आज का पंचांग (Aaj ka panchang) क्या है और पंचांग किसे कहते है एवं इससे संबंधित अन्य जानकारी विस्तारपूर्वक मिलेगी.
आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang in Hindi) 2024
पंचांग किसे कहते हैं? – ज्योतिषियों के अनुसार हर पूजा और शुभ कार्यों में पंचांग (Panchang) का विशेष महत्व होता है, ज्योतिष शास्त्रों में भी इसे विशेष महत्त्व दिया गया है. इसलिए बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है और इसका निर्माण भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार होता है.
हिंदू पंचांग का उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन काल से होता आ रहा है और अभी भी भारत एवं नेपाल सहित कंबोडिया, लाओस, थाईलैंड, बर्मा और श्रीलंका में हिंदू पंचांग का उपयोग हो रहा है.
पंचांग में ग्रहों, नक्षत्रों की दशा व दिशा पर तिथि, वार, त्यौहार आदि का निर्धारण होता है, इसके आलावा इसमें प्रत्येक दिन पड़ने वाले शुभ और अशुभ योगों और मुहूर्तों का विवरण भी होता है.
पंचांग श्रवन के कई फायदे हैं, साथ ही इसे पढ़ने से जीवन के महत्वपूर्ण पलो शुभ फलदायी बना सकते है. ज्योतिष शास्त्रों में भी पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है.
हिंदू पंचांग मुख्य रूप से सूर्य और चन्द्रमा की गति को दर्शाता है. ज्योतिषियों के अनुसार पंचांग देखे बिना कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, महत्वपूर्ण कार्यक्रम, उद्घाटन समारोह, नया व्यवसाय या अन्य किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाने चाहिए.
‘पंचांग’ यानी (पंच+अंग), इस शब्द से ही समझ आता है कि पंचांग पांच अंग से बना है. दरअसल ये पांच अंग से ही बना है, इसलिए इसे पंचांग कहते है और इसके पांच अंग है- नक्षत्र, तिथि, योग, करण और वार. पंचांग के इन 5 अंगो के बारे में आगे जानकारी दी गई गई है.
आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) हिन्दू कैलेंडर 2024
यहां पर आपने आज का वार कौन सा है? आज की तिथि क्या है? और आज का नक्षत्र क्या है? आज का करण क्या है? तथा आज का योग क्या है? यह जाना है, यानी कुल मिलाकर आपने आज का पंचांग (Aaj ka panchang) क्या है? यह जाना है. तो आइये अब आपको पंचांग के इन 5 अंगो के अर्थ से परिचित कराते है.
पंचांग के 5 अंग (5 parts of Panchang) Aaj Ka Panchang
हिन्दू पंचांग पांच अंगों से बना है. इसके 5 अंग; वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण है. इनकी गणना के आधार पर ही शुभ और अशुभ मुहूर्त निकाले जाते है.
1. नक्षत्र (Star)
ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का बहुत महत्व होता है. यदि आप “नक्षत्र क्या है” यह नहीं जानते है तो आपको बता दूँ कि ‘तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता हैं’ और यह नक्षत्र कुल 27 प्रकार के होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है.
27 नक्षत्रों के नाम इस प्रकार है- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र.
2. तिथि (Tithi)
सूर्य रेखा से 12 डिग्री ऊपर जाने के लिए चंद्र झुकाव में लगने वाले समय को तिथि कहा जाता है. अर्थात ‘चन्द्र रेखांक’ को ‘सूर्य रेखांक’ से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है. एक माह में 30 तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं. 15 तिथियां शुक्ल पक्ष में और 15 तिथियां कृष्ण पक्ष में होती हैं और उन 30 तिथियों के नाम इस प्रकार हैं-
- शुक्ल पक्ष: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा.
- कृष्ण पक्ष: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या.
शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा (Poornima) होती है और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या (Amavasya) कहलाती है.
3. करण (Karan)
आधी तिथि करण कहलाती है और एक तिथि में दो करण होते हैं- एक पूर्वार्ध में तथा एक उत्तरार्ध में, और यह पंचांग का एक अंग है. करणों की कुल संख्या 11 है, जिसमे बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुध्न आदि शामिल है. इनमें से चार करण स्थिर होते हैं और सात अपनी जगह बदलते रहते हैं.
4. योग (Yog)
ज्योतिष शास्त्र में योग शब्द का अर्थ जन्म कुंडली में भावों और अन्य ग्रहों के संबंध में ग्रह की स्थिति से है. ये योग ग्रहों के आपसी संबंध के अनुसार शुभ और अशुभ फल देते हैं. योग किसी भी व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं. सूर्य और चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है और इनकी दूरियों के आधार पर 27 प्रकार के योग बनते है.
पंचांग में 27 प्रकार के योग माने गए हैं और वे इस प्रकार है- विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति.
5. वार (Day)
एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच की अवधि को वार कहा जाता है. वार अर्थात “सप्ताह के दिन” है. सप्ताह में कुल 7 दिन है, जिनमे सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार आदीं शामिल है. ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं और इनमें सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को शुभ माना गया हैं.
पंचांग कितने प्रकार के होते हैं (Types of Panchang)
गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धाराए हैं- पहली चंद्र आधारित कैलेंडर पद्धति, दूसरी नक्षत्र आधारित कैलेंडर पद्धति और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति. इन तीनों पद्धतियों के आधार पर पूरे भारत में, क्षेत्र व धार्मिक-सांस्कृतिक के आधार पर भिन्न-भिन्न रूप में पंचांग को माना जाता है. इन्ही के आधार पर भारत में 4 प्रकार के पंचांग प्रचलित हैं, जो इस प्रकार है-
- विक्रमी पंचांग – यह सबसे प्रसिद्ध पंचांग है जो भारत के उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भाग में प्रचलित है.
- तमिल पंचांग – यह दक्षिण भारत में प्रचलित है.
- बंगाली पंचांग – यह बंगाल और कुछ अन्य पूर्वी भागों में प्रचलित है.
- मलयालम पंचांग – यह केरल में प्रचलित है और एक सौर कैलेंडर है.
पंचांग क्षेत्र विशेष के अनुसार अलग-अलग प्रचलित हैं, लेकिन किसी भी पंचांग में जानकारियों के स्तर पर लगभग समानता ही होती है. क्योंकि किसी भी पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण यह पांच अंग होते हैं और इन्ही पांच अंगों की जानकारियां पंचांग में निहित होती है.
पंचांग का महत्व (Importance of Panchang)
हिंदू पंचांग के अनुसार ही हिंदुओं, बौद्धों, जैनों और सिखों के त्योहार होली, गणेश चतुर्थी, सरस्वती पूजा, महाशिवरात्रि, वैसाखी, रक्षा बंधन, पोंगल, ओणम, रथ यात्रा, नवरात्रि, लक्ष्मी पूजा, कृष्ण जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा, रामनवमी, विसू और दिवाली आदि से मनाये जाते है.
हर पूजा और शुभ कार्यों में पंचांग (Panchang) का विशेष महत्व होता है और ज्योतिष शास्त्रों में भी पंचांग को विशेष महत्त्व दिया गया है. किसी भी शुभ कार्य या पूजा, विवाह, व्यवसाय, उत्सव आदि जैसे शुभ कार्यों को शुरू करने से पहले पंचांग देखा जाता जाती है. पंचांग के आधार पर ठीक समय पर धार्मिक और व्यावहारिक कार्य किये जाते हैं. पंचांग का मुख्या उद्देश कालमापन या कालगणन का हैं.
कौन सा दिन शुभ-अशुभ है, कौनसी घड़ी शुभ-अशुभ है, कौन सा समय शुभ-अशुभ है, योग क्या बन रहे हैं, तिथि कौन सी है, गृह प्रवेश के लिए शुभ दिन, विवाह के लिए शुभ मुहूर्त, नये काम की शुरुआत के लिये शुभ समय, आदि बहुत सी जानकारी पंचांग के जरिये पता कर सकते है.
पंचांग श्रवण के 5 लाभ (Benefits of listening to Panchang)
पंचांग का पठन और श्रवण बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिसे पंचांग का ज्ञान होता है, उसे पाप स्पर्श भी नहीं कर सकता. यह भी कहा जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे.
- तिथि का श्रवण करने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है.
- नक्षत्र श्रवण से पाप नष्ट हो जाते हैं.
- वार के श्रवण से आयु में वृद्धि होती है.
- करण का श्रवण करने से मनोकामना पूरी होती है और किये जाने वाले कार्य सफल होते है.
- योग का श्रवण करने से प्रियजनों से प्रेम मिलता है और रोगों से मुक्ति मिलती है.
अभिजीत मुहूर्त का समय (Aaj ka panchang shubh muhurat)
हिन्दू पंचांग के अनुसार किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण को देखना आवश्यक है. जो लोग पंचांग के अनुसार कोई भी नया काम शुरू करते हैं, वे नुकसान से बच सकते हैं और शुरू किए गए कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं या उस कार्य में सफलता प्राप्त कर सकते है.
शास्त्रों की मानें तो एक दिन में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुल 30 विभिन्न प्रकार के मूहूर्त होते हैं, इनमें से “अभिजीत मुहूर्त” सबसे शुभ और फलदायी माना जाता है. अभिजीत का मतलब होता है विेजेता और मुहूर्त का मतलब समय होता है. जिसका अर्थ ये हुआ कि अभिजीत मुहूर्त में किया गया हर काम शुभ फल ही प्रदान करता है.
वैदिक शास्त्रों के अनुसार अभिजीत मुहूर्त में विभिन्न दोषों को समाप्त करने की शक्ति होती है. अभिजीत मुहूर्त के समय आप किसी भी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं, अभिजीत मुहूर्त में शुरू किए गए सभी कार्य शुभ होते हैं. हालांकि यह ध्यान रखे कि यह मुहूर्त सप्ताह के छह दिन ही होता है, बुधवार के दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं होता है.
अभिजीत मुहूर्त का समय दिन के मध्य भाग से शुरू होकर लगभग 48 मिनट तक रह सकता है. अभिजीत मुहूर्त का समय प्रतिदिन बदलता रहता है, यानी अभिजीत मुहूर्त का समय हर दिन पांच से दस मिनट के आगे-पीछे होता रहता है. अगर आप आज के अभिजीत मुहूर्त का समय देखना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर जाएं.
अभिजीत मुहूर्त की गणना कैसे करें? अभिजीत मुहूर्त पंद्रह मुहूर्त में से आठवां मुहूर्त है जो सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच होता है. सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय अंतराल को पंद्रह बराबर भागों में विभाजित किया जाता है और पंद्रह भागों के मध्य भाग को अभिजीत मुहूर्त के रूप में जाना जाता है. यह मुहूर्त असंख्य दोषों को नष्ट करने में सक्षम है और सभी प्रकार के शुभ कार्यों को शुरू करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक है.
निष्कर्ष – Aaj Ka Panchang इस लेख से जुड़ा
दोस्तों इस पोस्ट को पढ़कर आपको पता चल ही गया होगा कि पंचांग क्या है, पंचांग किसे कहते है, आज का पंचांग (Aaj ka panchang) क्या है, पंचांग कितने प्रकार के होते है, पंचांग का महत्व क्या है. साथ ही आप ये भी जान गए होंगे कि पंचांग के पांच अंग कौन से है और पंचांग श्रवण के क्या लाभ होते है. यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो हमें कमेंट करके जरुर बताये.
FAQ
Q. पंचांग क्या है?
Ans: पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर है और इसका निर्माण भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार होता है.
Q. आज का पंचांग क्या है?
Ans: आज का पंचांग क्या है, इसकी जानकारी आपको ऊपर मिल जायेगी.
Q. क्या प्रत्येक दिन का पंचांग अलग अलग होता है?
Ans: जी हाँ, प्रत्येक दिन का पंचांग अलग अलग होता है.
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