आज की तिथि (Aaj Ki Tithi) : इस पेज पर आप आज की तिथि क्या है (Aaj ki tithi kya hai), इससे जुडी जरुरी जानकारी से परिचित होंगे. आज की तिथि (Today tithi) के अलावा आप यह भी जानेंगे कि तिथि क्या है और कैसे बनती है, तिथियाँ कितने प्रकार की होती है और कौन सी तिथि किस देवता को समर्पित है.
Aaj Ki Tithi Panchang – दोस्तों तिथि (Tithi) इस शब्द से तो हर कोई परिचित होगा, आप सभी ने भी यह शब्द कहीं बार सूना होगा. तिथि यह शब्द आपने पंडितो से तो जरुर सूना होगा और त्योहारों के मौसम में यह शब्द तो अधिक ही सुनने को मिलता है.
लेकिन क्या कभी आपने ये जानने की कोशिश की है कि तिथि (Tithi) क्या होती है और कैसे बनती है, तिथियाँ कितने प्रकार की होती है. दोस्तों यहां हम इस बात का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हमारा देश त्योहारों का देश है, जहां साल भर अलग-अलग त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाते हैं.
एक साल में जितने दिन होते हैं, इस देश में उससे कई अधिक त्यौहार हैं और यह एक सर्वव्यापी सच्चाई है कि प्रत्येक धर्म को उसमें मनाए जाने वाले त्यौहारों से ही अनूठी पहचान मिलती है.
वैसे तो हमारे देश में सभी धर्मों के लोग अपने अपने त्योहार एक साथ मिल-जुलकर मनाते हैं, चाहें वह हिंदुओं की दिवाली हो, या फिर मुस्लमानों की ईद हो, या फिर सिखों की लोहड़ी हो या फिर ईसाइयों का क्रिसमस हो. इस देश में सभी त्योहार खुशी और जुनून के साथ मिल-जुलकर मनाए जाते हैं.
सभी त्यौहार तिथियों के अनुसार ही मनाये जाते है. तिथियों के आधार पर ही मुहूर्त्त निकाले जाते हैं और उनके अनुसार ही विभिन्न कार्य किए जाते हैं, ताकि शुभ फल प्राप्त किया सके.
आज की तिथि – Aaj Ki Tithi in Hindi 2024
यहाँ आज की तिथि (Today tithi) हिन्दू कैलेंडर 2024 के अनुसार के अनुसार दी गई है. जिसमे हिंदी माह, पक्ष, तिथि, दिन, तारीख आदि शामिल है.
यहां आप देख सकते है कि आज की तिथि (Aaj ki tithi) क्या है, लेकिन इससे आप तिथि क्या है यह नहीं समझ सकते, आइये तिथि’ को बेहतर तरीके से समझते हैं.
तिथि क्या है (Tithi kya hai, Tithi in hindi)
ज्योतिष में तिथियों का एक महत्वपूर्ण स्थान है. तिथियां काल गणना का प्रमुख हिस्सा होती हैं. तिथियों के अनुसार ही व्रत-त्योहार तय किए जाते हैं. केवल यहीं नहीं, कोई भी शुभ कार्य करने से पहले शुभ तिथियां देखी जाती है, क्योंकि सही तिथि पर सही कार्य करने से चमत्कारी लाभ मिलते है.
What is tithi – दो नये चन्द्रोदय के मध्य के समय को ‘चन्द्र मास’ कहते है और यह लगभग 29.5 दिन के समकक्ष होता है. एक चन्द्र मास में 30 तिथि अथवा चन्द्र दिवस होते हैं. तिथि को हम इस प्रकार भी समझ सकते है कि सूर्य रेखा से 12 डिग्री ऊपर जाने के लिए चंद्र के झुकाव में लगने वाले समय को तिथि कहा जाता है.
हिन्दू पंचाग अनुसार तिथि दिन के अलग-अलग समय पर शुरू होती है. आमतौर पर एक तिथि की अवधि अधिकतम 26 घंटे और कम से कम 19 घंटे के बीच हो सकती है. अब आप समझ गए होंगे कि तिथि क्या है और तिथि कैसे बनती है.
तिथियाँ कितने प्रकार की होती है (Types of Tithi in hindi)
ज्योतिष के अनुसार एक मास में 30 तिथियॉ होती है, 15 तिथियॉ शुक्ल पक्ष में और 15 तिथियॉ कृष्ण पक्ष में होती है और उन 30 तिथियों के नाम इस प्रकार हैं-
शुक्ल पक्ष की तिथियाँ – प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा.
कृष्ण पक्ष की तिथियाँ – प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या.
सभी तिथियों (Tithi) के बारे में जाने
प्रतिपदा (Pratipada Tithi)
यह हिन्दू पंचांग की पहली तिथि है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद, इस प्रकार यह मांस में दो बार आती है. प्रतिपदा का अर्थ मार्ग होता है. इसके स्वामी अग्निदेव है. शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि का निर्माण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच 0 से 12 डिग्री अंश का अंतर होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा तिथि का निर्माण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच 181 से 192 डिग्री अंश का अंतर होता है.
द्वितीया (Dwitiya Tithi)
यह हिन्दू पंचांग की दूसरी तिथि है. यह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में ही आती है. इसे ज्यादातर लोग ‘दूज’ या ‘दौज’ भी कहते हैं. इस तिथि के स्वामी ब्रह्मा जी है. शुक्ल पक्ष में इस तिथि का निर्माण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 13 डिग्री से 24 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि का निर्माण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 193 से 204 डिग्री अंश तक होता है.
तृतीया (Tritiya Tithi)
यह हिन्दू पंचांग की तीसरी तिथि है. इसे तीज भी कहते है, साथ ही इसे जया भी कहते है. क्योंकि इस तिथि में किए गए कार्यों में हमेशा विजय प्राप्त होती है ऐसा माना जाता है. इस तिथि की स्वामिनी माता गौरी है. इस तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 25 डिग्री से 36 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में तृतीया तिथि का निर्माण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 205 से 216 डिग्री अंश तक होता है.
चतुर्थी (Chaturthi Tithi)
यह हिंदू पंचांग की चौथी तिथि है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद, इस प्रकार यह मास में दो बार आती है. इसे खला के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस तिथि में शुरू किए गए कार्यों का विशेष फल नहीं मिलता है. इस तिथि के स्वामी प्रथमपूज्य गणपित है. इस तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 37 डिग्री से 48 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 117 से 228 डिग्री अंश तक होता है.
पंचमी (Panchami Tithi)
यह हिंदू पंचांग की पांचवी तिथि है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद, इस प्रकार यह मास में दो बार आती है. इसे पूर्णा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस तिथि में शुरू किए गए कार्यों में विशेष फल मिलता है. इस तिथि के स्वामी नाग देवता है. इस तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 49 डिग्री से 60 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में पंचमी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 229 से 240डिग्री अंश तक होता है.
षष्ठी (Shashthi Tithi)
यह हिंदू पंचांग की छठी तिथि है. इसके स्वामी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र स्कन्द कुमार है, जिन्हें कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है. इस तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 61 डिग्री से 72 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में षष्ठी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 241 से 252 डिग्री अंश तक होता है.
सप्तमी (Saptami Tithi)
यह हिंदू पंचांग की सातवीं तिथि है. इसके स्वामी सूर्य देव है, तथा प्रत्येक पक्ष में एक सप्तमी तिथि होती है. सप्तमी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 73 डिग्री से 84 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में सप्तमी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 253 से 264 डिग्री अंश तक होता है.
अष्टमी (Ashtami Tithi)
यह हिंदू पंचांग की आठवीं तिथि है. यह प्रत्येक माह में दो बार आती है. इसके स्वामी भगवान शिव है. अष्टमी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 85 डिग्री से 96 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 265 से 276 डिग्री अंश तक होता है.
नवमी (Navami Tithi)
यह हिंदू पंचांग की नौवीं तिथि है. यह चन्द्र मास के दोनों पक्षों में आती है. इसकी स्वामिनी दुर्गा माता है. नवमी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 97 डिग्री से 108 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में नवमी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 277 से 288 डिग्री अंश तक होता है.
दशमी (Dashami Tithi)
यह हिंदू पंचांग की दसवीं तिथि है. यह मास में दो बार आती है. इसके स्वामी मृत्यु के देवता भगवान यमराज है. दशमी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 109 डिग्री से 120 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में दशमी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 289 से 300 डिग्री अंश तक होता है.
एकादशी (Ekadashi Tithi)
यह हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद इस प्रकार यह मास में दो बार आती है. इसे ग्यारस भी कहते है. इसके स्वामी विश्वेदेवा है. इस तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 121 डिग्री से 132 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 301 से 312 डिग्री अंश तक होता है.
द्वादशी (Dwadashi Tithi)
यह हिंदू पंचांग की बारहवीं तिथि है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद, इस प्रकार यह मास में दो बार आती है. इसके स्वामी भगवान विष्णु जी है. इस तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 133 डिग्री से 144 डिग्री अंश तक होता है. जबकि वहीं कृष्ण पक्ष में द्वादशी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 313 से 324 डिग्री अंश तक होता है.
त्रयोदशी (Trayodashi Tithi)
यह हिन्दू पंचांग की तेरहवीं तिथि है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद, इस प्रकार यह मास में दो बार आती है. इस राशि के स्वामी कामदेव है. इस तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 145 डिग्री से 156 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 313 से 336 डिग्री अंश तक होता है.
चतुर्दशी (Chaturdashi Tithi)
यह हिन्दू पंचांग की चौदहवीं तिथि है. पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद, इस प्रकार यह मास में दो बार आती है. इसके स्वामी भगवान शिव है. इस तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 157 डिग्री से 168 डिग्री अंश तक होता है. जबकि कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 337 से 348 डिग्री अंश तक होता है.
पूर्णिमा (Purnima Tithi)
यह हिन्दू पंचांग की पंद्रहवीं तिथि है और इसे शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि भी माना जाता है. इसके स्वामी चंद्र देव है, इसलिए इसमें जन्मे लोगों को चंद्रदेव की पूजा करने विशेष लाभ मिलते है. इस तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर 169 डिग्री से 180 डिग्री अंश तक होता है.
अमावस्या (Amavasya Tithi)
यह कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है, इसे अमावसी भी कहा जाता है. इसके स्वामी पितर माने जाते हैं. इस तिथि पर पितरों का तर्पण करने का विधान है. इस तिथि का निर्माण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच अंतर शून्य हो जाता है. इस तिथि के दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों हजी समान अंशों पर होते है.
5 मुख्य तिथियां कौन सी है (Main 5 Tithi’s)
उपरोक्त तिथियों को 5 तिथियों में विभाजित किया गया है. जिनके नाम इस प्रकार है- 1) नंदा, 2) भद्रा, 3) जया, 4) रिक्ता, 5) पूर्णा. आइए इन तिथियों के बारे में जानते है.
1. नंदा – इस तिथि में प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी तिथियां शामिल की गई है. इन तिथियों में व्यापार-व्यवसाय प्रारंभ किया जा सकता है, इसके अलावा भवन निर्माण कार्य प्रारंभ करने के लिए यही तिथियां सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं.
2. भद्रा – इस तिथि में द्वितीया, सप्तमी और द्वादशी तिथियां शामिल की गई है. इन तिथियों में धान, अनाज लाना, गाय-भैंस, वाहन खरीदने जैसे काम किए जाना चाहिए, इसमें खरीदी गई वस्तुओं की संख्या बढ़ती जाती है.
3. जया – इस तिथि में तृतीया, अष्टमी और त्रयोदशी तिथियां शामिल की गई है. इन तिथियों में सैन्य, शक्ति संग्रह, कोर्ट-कचहरी के मामले निपटाना, शस्त्र खरीदना, वाहन खरीदना जैसे काम कर सकते हैं.
4. रिक्ता – इस तिथि में चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथियां शामिल की गई है. इन तिथियों में मांगलिक कार्य, नया व्यापार और गृह प्रवेश के कार्य नहीं करने चाहिए, तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए ये तिथियां शुभ मानी गई हैं.
5. पूर्णा – इस तिथि में पंचमी, दशमी और पूर्णिमा तिथियां शामिल की गई है. इन तिथियों में मंगनी, विवाह, भोज आदि कार्यों को किया जा सकता है.
जाने- कौन सी तिथि किस देवता की है?
ऊपर आपने आज की तिथि ( Aaj ki tithi ) क्या है, तिथि किसे कहते है, तिथियाँ कितने प्रकार की होती है, एवं 5 मुख्य तिथियाँ कौन सी है, इसके बारे में जाना है. अब यहां पर आप कौन सी तिथि किस देवता को समर्पित है, इसके बारे में जानेंगे.
प्रतिपदा (पड़वा) – इस तिथि के देवता अग्नि देव हैं. इसमें अग्नि देव की पूजा करने से धन और धान्य की प्राप्ति होती है.
द्वितीया (दूज) – इस तिथि के देवता ब्रह्म देव हैं. इसमें ब्रह्माजी की पूजा करने से व्यक्ति विद्याओं में पारंगत होता है.
तृतीया (तीज) – इस तिथि के देवता यक्षराज कुबेर है. इसमें कुबेर जी की पूजा करने से धन-धान्य में वृद्धि के साथ सुख समृद्धि प्राप्त होती है. इसके अलावा इस तिथि में गौरी मां की पूजा करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है.
चतुर्थी (चौथ) – इस तिथि के देवता गणेश जी है. इसमें गणेश जी की पूजा करने से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
पंचमी (पंचमी) – इस तिथि के देवता नागराज हैं. इसमें नागराज जी की पूजा करने से व्यक्ति को विष का भय नहीं रहता और कालसर्प योग का भी शमन होता है.
षष्ठी (छठ) – इस तिथि के देवता भगवान कार्तिकेय हैं. इसमें भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से व्यक्ति मेधावी, सम्पन्न एवं जीवन में प्रसिद्धि प्राप्त करता है.
सप्तमी (सातम) – इस तिथि के देवता सूर्यदेव हैं. इसमें सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार होता है और आँखों की समस्या से राहत मिलती है.
अष्टमी (आठम) – इस तिथि के देवता रुद्र देव हैं. इसमें भगवान शिव की पूजा करने से सारे कष्ट और रोग दूर होते हैं.
नवमी (नौमी) – इस तिथि के देवता माता दुर्गा देवी है. इसमें माता दुर्गा जी की पूजा करने से यश में वृद्धि होती हैं और व्यक्ति हर क्षेत्र में विजयी होता है.
दशमी (दसम) – इस तिथि के देवता यमराज है. इसमें यमराज की पूजा करने से यमराज सभी बाधाओं को दूर करते हैं और मनुष्य को अकाल मृत्यु से बचाते है.
एकादशी (ग्यारस) – इस तिथि के देवता विश्वेदेवा है. इसमें विश्वेदेवो की पूजा करने से भक्तों को धन, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है.
द्वादशी (बारस) – इस तिथि के देवता भगवान विष्णु हैं. इसमें भगवान विष्णु जी की पूजा करने से मनुष्य समस्त सुखों को भोगता है, साथ ही सभी जगह पूज्य एवं आदर का पात्र बनता है.
त्रयोदशी (तेरस) – इस तिथि के देवता कामदेव है. इसमें कामदेव जी की पूजा करने से व्यक्ति रूपवान होता है एवं सुंदर पत्नी प्राप्त करता है. साथ ही उसकी सभी कामनाए पूर्ण हो जाती है.
चतुर्दशी (चौदस) – इस तिथि के देवता भगवान शंकर जी हैं. इसमें भगवान शंकर जी की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है और व्यक्ति समस्त ऐश्वर्य प्राप्त करता है.
पूर्णिमा (पूरनमासी) – इस तिथि के देवता चन्द्रमा है. इसमें चन्द्र देव की पूजा करने से मनुष्य का समस्त संसार पर आधिपत्य होता है.
अमावस्या (अमावस) – इस तिथि पर पितरो का अधिपत्य है. इसमें पितृगणों की पूजा करने से पितृगण प्रसन्न होकर प्रजावृद्धि, धनरक्षा, आयु तथा बल-शक्ति प्रदान करते है.
FAQ
Q. तिथि क्या है?
Ans: सूर्य रेखा से 12 डिग्री ऊपर जाने के लिए चंद्र के झुकाव में लगने वाले समय को तिथि कहा जाता है.
Q. आज की तिथि क्या है?
Ans: आज की तिथि क्या है, इसकी जानकारी आपको ऊपर मिल जायेगी.
Q. क्या प्रत्येक दिन की तिथि अलग अलग होती है?
Ans: जी हाँ, प्रत्येक दिन की तिथि अलग अलग होती है.
Aaj Ki Tithi – इस लेख से संबंधित निष्कर्ष
दोस्तों इस पोस्ट को पढ़कर आपको पता चल गया होगा कि आज की तिथि (Aaj Ki Tithi) क्या है, साथ ही आप ये भी जान गए होंगे की 5 मुख्य तिथियाँ कौन सी है और कौन सी तिथि किस देवता की है. उम्मीद करते है कि यह पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा या आपके लिए उपयोगी रहा होगा. इसके अलावा इस पोस्ट से जुड़ा आपका कोई भी सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरुर बताये.
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Disclaimer – The information published in this article has been taken from the internet, if you want to do any activity related to ‘Aaj Ki Tithi‘ or ‘Today’s Tithi‘, then consult a good astrologer.
Badhiya jankari, aaj ki tithi aur tithi kya hai, tithi kitne prakar ki hoti hai iske bare me.
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