प्लास्टिक के वेस्ट मटेरीअल से हमारा सागर दुषित हो गया है. आइये आगे जानते है प्लास्टिक के इस्तेमाल से किस तरह से सभी महासागर प्रदूषित हो रहे है. आखिर जल प्रदूषण के लिए कौन जिम्मेदार है.

प्लास्टिक का महासागर - Plastic ocean

प्लास्टिक सड़ता-गलता नहीं है, इसीलिए प्लास्टिक से पर्यावरण दूषित हो रहा है. इसका पर्यावरण पर काफी विपरीत परिणाम होता है. प्लास्टिक को या तो दफनाना होता है या जलाना होता है. जलाने से जो धुआं होता है वह काफी जहरीला होता है. प्लास्टिक का प्रदूषण भूवर्ग से लेकर सागर तक फैला हुआ है. इससे सागर का पाणी काफी प्रभावित हुआ है.

“जार्जिया विद्यापीठ” के इंजिनीरिंग के प्रोफेसर “जेना जॅमबैक” ने प्लास्टिक प्रदूषण पर रिसर्च किया. इस संशोधन में उन्होंने पाया कि, “सागर किनारोंं के प्रत्येंक फुट पर पांच बोरी प्लास्टिक जमा हो सकता है”. इतना प्लास्टिक का कचरा हो गया है. यह नजारा दुनिया के सारे सागर किनारोंं पर नजर आयेगा. प्लास्टिक का प्रदूषण रोका ना गया तो 2025 तक महासागरों मे 170 दसलाख टन प्लास्टिक जमा हो जायेगा.

अधिकतर प्लास्टिक विकसित देशोंं से ही आता है. इसलिए उन्हें इस बारे में जिम्मेदार होने की जरूरत है. दुनिया मे प्लास्टिक का इस्तमाल काफी होता है और हम इस पर नियंत्रण पाने में असफल हो रहेंं हैं. जिस प्रकार की रोक होनी चाहियेंं, वह हम नियंत्रित नही कर पा रहेंं हैंं. सबसे ज्यादा प्लास्टिक चीन महासागर मे है. इंडोनेशिया, फिलिपिन्स, व्हिएतनाम एवं श्रीलंका से बहते हुये प्लास्टिक सीधा चीनी महासागार मे आता है.

औद्योगिक प्रगत देशों की सूची मे प्लास्टिक प्रदूषण मे अमेरिका बीसवे पायदान पर आता है. अमेरिका और युरोप मे प्लास्टिक बंदी पर अच्छा खासा नियंत्रण है. उसके बावजुत यहॉ से भी प्लास्टिक समुंदर मे बह कर आता है.

चीन प्लास्टिक प्रदूषण के लिये सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. चीन से महासागर मे 28 प्रतिशत प्लास्टिक का कचरा बहकर आता है. जो कि लगभग 24 लाख टन के बराबर है. अमेरिका से ७७ हजार टन प्लास्टिक बहकर आता है, जो चीन के मुकाबले सिर्फ 1 प्रतिशत ही है.

महासागर मे प्लास्टिक काफी घातक है, जलचर प्राणी यह प्लास्टिक खाते है, परिणाम स्वरूप उनकी मौत हो जाती है, जिससे पाणी भी जहरीला हो जाता है. काफी बार सागर मे जहर फैलने के संकेत भी मिले है. प्रोफेसर जेना जॅमबैक ने 192 देशों कि प्रदूषण कि आकडेवारी सूची विश्वबँक को दी है. जिस हिसाब से महासागर मे कचरा कितना फैला हुऑ है यह पता चलता है.

भारत मे गुजरात के वापी मे पहला प्लास्टिक विद्यापीठ स्थापन करने की घोषणा उस वक्त कि मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने 6 फरवरी २०१५ को की थी.

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