पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय, नेहरू जी के अनमोल विचार, भारत के पहले प्रधानमंत्री की जीवनी, बायोग्राफी ऑफ पंडित जवाहरलाल नेहरू इन हिंदी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय और शिक्षा
नमस्कार दोस्तो, एबल ट्रिक्स डॉट कॉम पर आपका स्वागत है। मेरा नाम है सागर.. मेरे पिछले पोस्ट को आपने काफी रिस्पॉन्स भी दिया इसके लिए थैंक्स.. आज हम यहां पे बात करेंगे “भारत के पहले प्रधान मंत्री” और बच्चो के चहिते चाचा नेहरूजी के बारे में.. जिन्होंने भारत के लिए, भारत को गुलामी से मुक्त करवाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन को कुर्बान कर दिया। तो चलिए हम यहां पे जानते है चाचा नेहरू जी के जीवन की सच्ची कहानी.. एक ऐसी कहानी जो आपको काफी रोचक लगेगी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का जन्म १४ नवम्बर १८८९ में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू जी ने उनकी प्रारंभिक शिक्षा का प्रबंध उनके घर पर ही किया था। १५ वर्ष की आयु में उनके पिताजी ने उनका इंग्लैंड के हैरो स्कूल और कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला करवाया। उसके बाद नेहरूजी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके १९१२ में भारत लौटे।
इंग्लैंड से लौटने के बाद जवाहरलाल नेहरू के दिल में देश के प्रति प्रेम और आज़ादी की भावना जागृत हुई। उनके मन में देश को स्वतंत्र देखने की तड़प जाग उठी। वह देश को आज़ाद देखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने भारत में अपनी वकालत शुरू किया लेकिन उनका उसमे मन नहीं लगा। इसी बिच १९१५ में उनकी शादी कमला जी से हो गई।
पंडित जी के विवाह के बाद का जीवन
🔘 पंडित जवाहरलाल नेहरू जी विवाह के बाद साल १९१७ में गांधीजी के साथ होम रूल लीग से जुड़ गए। बाद में वे १९१९ में गांधीजी के संपर्क में आये जहा गांधीजी के विचारों ने उन्हें काफी प्रभावित किया और नेहरूजी को राजनीती ज्ञान भी गांधीजी के छत्रछाया में ही प्राप्त हुआ।
🔘 साल १९१९ में गांधीजी ने रोलेट अधिनियम के खिलाफ मोर्चे को संभाला था और यही वो समय था जब नेहरू जी ने राजनीती में पहली बार कदम रखा था। उसी बिच गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन ने नेहरू जी को अधिक प्रभावित कर दिया था।
🔘 जवाहरलाल नेहरू जी के परिवार ने भी उस समय गांधीजी का ही अनुसरण किया था और वही उनके पिता श्री मोतीलाल जी ने अपनी धन संपत्ति त्याग कर खादी परिवेश धारण किया था।
🔘 जवाहरलाल नेहरू जी ने सन १९२० में असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया था और इसी समय जवाहरलाल नेहरू जी पहली बार जेल भी गए थे। उसके बाद उन्हें साल १९२४ में इलाहाबाद नगर निगम का अध्यक्ष बना दिया गया। उन्होंने दो साल तक शहर की सेवा की उसके बाद उन्होंने १९२६ में उससे इस्तीफा दे दिया।
🔘 उसके बाद उन्हें १९२६ से १९२८ तक अखिल भारतीय कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। गांधीजी को जवाहरलाल नेहरूजी में भारत का एक अच्छा नेता नजर आ रहा था।
🔘 उसके बाद साल १९२८-१९२९ में कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में किया गया जिसमे दो गट बने।
🔘 एक गठ में जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस थे, यहा उन्होंने संपूर्ण स्वतंत्रता की माँग की। दूसरे गट में मोतीलालजी नेहरू और अन्य नेताओ ने सरकार के अधीन प्रप्रभुत्व सम्पन्न राज्य का दर्जा पाने की मांग की।
🔘 इस दो प्रस्ताव की लड़ाई में गांधीजी ने बिच का रास्ता निकाला। गांधीजी ने कहा की, हम ब्रिटेन को दो साल का समय देंगे, ताकि वे भारत को राज्य का दर्जा दे, अन्यथा कोंग्रेस राष्ट्रीय लड़ाई को जन्म देगी। फिर भी ब्रिटिश सरकार ने इसका कोई उचित जवाब नहीं दिया।
🔘 उसके बाद दिसंबर १९२९ में वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया जहां नेहरुजी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। उसमें सभी ने एक मत बना कर पूर्ण स्वराज्य की मांग का प्रस्ताव पारित किया। उसके बाद २६ जनवरी १९३० में जवाहरलाल नेहरू जी ने लाहौर में स्वतंत्र भारत का ध्वज लहराया।
🔘 उस समय यह सविनय अवज्ञा आंदोलन का आवाहन इंतने जोरो से किया गया की उसके सामने ब्रिटिश सरकार को महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए झुकना ही पड़ा।
🔘 उसके बाद साल १९३५ में कांग्रेस ने चुनाव लड़ने का फैसला किया और उसमे जीत भी हासील की। उसके बाद साल १९४२ में ब्रिटिश सरकार को आवाहन किया गया और भारत छोड़ो आंदोलन भी किया गया जिसमें नेहरू जी को गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके जेल से छूटने के बाद साल १९४७ में भारत पकिस्तान की आजादी के लिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से स्वयं ही बात की जिसमे उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
🔘 जब साल १९४७ में आजादी मिलने के बाद कांग्रेस में देश के प्रधानमत्री पद के लिए मतदान किया गया जिसमे सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी अधिक मत मिले थे लेकिन गांधीजी के कहने पर उन दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू जी को प्रधानमत्री बनाया गया। यह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। उसके बाद नेहरू जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे।
जवाहरलाल नेहरू जी के अनमोल विचार
🔘 एक महान कार्य में लगन और कुशल पूर्वक काम करने पर भी भले ही उसे तुरंत पहचान न मिले लेकिन वह अंतः में सफल जरूर होता है।
🔘 हमारी कला ही हमारे दिमाग का सही दर्पण है जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
🔘 अज्ञानता किसी भी बदलाव से हमेशा डरती है।
🔘 भारत की संस्कृति ही नहीं हर संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।
🔘 आप दीवार के चित्रों को तो बदल सकते है पर इतिहास के तथ्यों को नहीं बदल सकते हैं।
🔘 जो व्यक्ति दुसरो के अनुभवों का लाभ स्वयं उठता है नवहि बद्धिमान होता है।
🔘 बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की नीति भी एक सबसे बड़ा जोखिम होती है।
🔘 असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते है।
🔘 संकट और परेशानियां जब भी आती हैं, वह हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं।
🔘 जीवन में डर से अधिक खतरनाक और बुरा और कुछ भी नहीं।
Author: Sagar
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