एक धनवान व्यापारी और मुनीम की कहानी
एक शहर में एक धनी व्यापारी रहता था, वह बहुत दयालु था। पूरे शहर में उनकी काफी प्रतिष्ठा थी। सारा समाज उनका सम्मान करता था। वह मंदिरों में दान करता था। गरीबों की सेवा करता था। गरीब बच्चों को कपड़े और किताबें बांटता था। इसके अलावा प्रत्येक रविवार को वह मंदिरों में नि:शुल्क भोजन कराता था।
व्यापार में उसे महारत हासिल थी, यही कारण था कि उसका व्यापार दिन-ब-दिन आसमान छू रहा था. ऐसे में उसे एक नए व्यापार के साथ काम करने का मौका मिला। उस नए व्यापारी ने उससे कुछ माल मंगवाया, तो इस व्यापारी ने उसके पास जो अच्छा माल था, वो उसे भेज दिया। नया व्यापारी सही समय पर अच्छा माल पाकर खुश हो गया।
कुछ दिनों के बाद व्यापारी ने अपने मुनीम को उस नए व्यापारी के पास पैसे का हिसाब करने और पैसे लेने के लिए भेजा, फिर मुनीम गाडी लेकर ड्राइवर के साथ नए व्यापारी के पास चला गया।
फिर नए व्यापारी ने मुनीम से पूरा हिसाब पूछा तो मुनीम ने कहा साहब, हमने आपको दस टन माल दिया है, जिसका हिसाब 1,74,555 रुपये होता है। उस व्यापारी ने भी वह हिसाब मान्य किया और मुनीम को 1,74,550 रुपये दिए।
मुनीम हिसाब का पैसा पाकर संतुष्ट हुआ। फिर वो वह पैसे लेकर ड्रायव्हर के साथ मालिक के घर वापस चला आया। घर पहुँँचकर मुनीम मालिक से बोला, साहब हमने नये व्यापारी को दस टन माल दिया था, जिसका कुल हिसाब 1,74,555 होता है। ये लीजियें, पुरे रुपयेंं मै ले आया हुं।
व्यापारी ने जब पैसे गिने तो वहाँ 1,74,550 रुपये थे। व्यापारी बोला, मुनीम जी इसमे तो पांच रुपये कम है। मुनीम बोला, साहब नया व्यापारी काफी व्यस्त था, इसीलिये उन्होंंने राउंड फिगर करके पैसे दे दिये।
व्यापारी ने मुनीम से फौरन जाकर 5 रुपये लाने के लिए कहा। तब मुनीम मालिक की गाडी लेकर ड्रायव्हर के साथ नये व्यापारी के पास चला गया। वहाँँ पहुंचकर मुनीम ने वो सारी बाते नये व्यापारी को बताई, तो नये व्यापारी ने भी मुनीम को 5 रुपये दे दिया।
अब मुनीम ड्रायव्हर के साथ वापस मालिक के घर चला आया और मलिक को 5 रुपये दिया। कुछ देर बाद मुनीम ने डरतें-डरतें मालिक से पुछाँ, साहब आप ने 5 रुपये के लिये 500 रुपये का पेट्रोल खर्च करवा दिया। मालिक पांच रुपये के पीछे हमारा 495 रुपये का नुकसान हो गया है।
मालिक ने मुस्कुरातेंं हुये जवाब दिया, मुनीमजी मैने ये कारोबार खाली हाथों से सुरु किया था। मुझे इसका अच्छा ज्ञान है. आज उस नये व्यापारी ने 5 रुपये कम दिये, कल शायद वह आपको 500 रुपये कम दे सकता है, इसीलिये यह करना जरुरी था। जब हम माल के लेन-देन मे कोई कमी नही करते, तो मोल भाव मे क्यूँ करेंं।
मालिक का जवाब सुनकर मुनीम संतुष्ट हुआँ, और बोला मालिक आपने आज मुझे पैसे की कदर के साथ साथ लेन-देन का भाव भी समझा दिया। मै आज के बाद कभी भी लेन-देन मे कोई गलती नही करुंगाँ।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हमें किसी भी चीज या किसी भी कार्य में पूरी तरह से सफल होना है तो हमें उसके नियमों का पालन करना चाहिए, तभी हम पूरी तरह सफल हो सकते हैं।
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