क्या आप जानतेंं है, हमारे देश के अंतिम छोर पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाओं के बारे मेंं. देश की अंतिम सीमाओंं पर कोन कोन से गांव बसेंं है, आइये इसके बारे में जानते है.

हमारे देश के अंतिम छोर पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण

भारत के पूर्व दिशा की अंतिम छोर के बारे मेंं – 
भारत के पूर्वी छोर मे अंतिम गाव है, “किबितू”, यह अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिले मे आता है. इसके बाद चीन का तिब्बेत क्षेत्र सुरु हो जाता है. ‘किबितू’ गांव विशाल लोहित नदी के तट पर स्थित है. फिलहाल चीनी क्षेत्र से आवागमन इसी मार्ग से हो रही है.

भारत के पश्चिम दिशा की अंतिम छोर के बारे मेंं – 
भारत के पश्चिम दिशा मे अंतिम छोर पर गुहार मोटा के अंत मे नारायण सरोवर है. यही भारत का पश्चिम दिशा मे अंतिम छोर है. गुहार मोटा गुजरात के कच्छ् मे आता है. कच्छ् मानसून के दौरान एक द्वीपीय रूप ले लेता है और उसका आकार कछुँँये जैसा लगता है. जिसके चारो ओर सागर है. 

भारत के उत्तर दिशा की अंतिम छोर के बारे मेंं – 
भारत का उत्तरी अंतिम छोर विवादित है. सियाचीन ग्लेशियर जो कि जम्मू काश्मीर नियंत्रण रेखा के पास आता है, इसे भारत का अंतिम छोर माना जाता है. हकीकत मे देखा जायेंं तो, बलीस्तान, कांजुट यह क्षेत्र भारत का अंतिम छोर है. किंतु पाकिस्तान सरकार ने इसे अपने कब्जे मे कर रखा है. जिसका सीमा विवाद आज तक नही सुलझ पाया है. तो इस हिसाब से अगर हम उत्तरी छोर की आखरी सीमा की बात करेंं तो ये “कांजुट” के पास “तघदुमबाश” ही हमारा आखरी छोर होगा.

भारत के दक्षिण दिशा की अंतिम छोर के बारे मेंं – 
भारत का दक्षिणी अंतिम छोर “कन्याकुमारी” है. कन्याकुमारी को “केप कोमोटीन” भी कहा जाता है. यह तमिलनाडू राज्य मे है. बंगाल की खाडी, अरब सागर, हिंद महासागर का मिलन स्थल कन्याकुमारी है. कन्याकुमारी मे स्वामी विवेकानंद जी का “रॉक मेमोरिअल” बना हुआ है. यहा गांधीजी की भी स्मृती है. 

इससे पहले, दक्षिण का अंतिम छोर “इंदिरा गांधी पॉईंट” था. जो कि ग्रेट निकोबार आईलैंड की जमीन पर था. इसे पहले “पिग मैलियन पॉईंट” कहा जाता था. इंदिरा गांधी के इस द्वीप के दौरे के बाद इसका नाम राजीव गांधीजी ने इंन्दिरा पॉईंट रख दिया था. किंतु 2004 मे आये हिंद महासागर के “सुनामी लहरो” ने इसे अपनी चपेट मे ले लिया और सारा द्वीप सागर मे समा गया. दोस्तोंं यह काफी अहम जानकारी है हमारी देश के अंतिम छोरोंं के बारेंं मेंं.

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