शेर और ज्ञानी बिल्ली की कहानी
एक जंगल में एक बहुत ही ज्ञानी बिल्ली रहती थी, जिसकी चर्चा दूर-दूर तक थी। उस बिल्ली को सभी प्राणी मौसी कहकर बुलाते थे और हर कोई उनसे ज्ञान प्राप्त करना चाहता था।
वह एक प्रकार से टीचर की तरह फ्री में प्राणियों को पढ़ाती थी। एक दिन जगल का राजा शेर उस ज्ञानी बिल्ली के पास आया और उसने उससे शिक्षा प्राप्त करने की मांग की।
ज्ञानी बिल्ली निस्वार्थ भाव से सबको पढ़ाती थी, उसी तरह उसने शेर को भी मना नहीं किया और वो उसे भी पढ़ाने के लिए राजी हो गई। उसके बाद शेर प्रतिदिन उस ज्ञानी बिल्ली के पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने लगा।
एक महिना बीत गया, ज्ञानी बिल्ली ने शेर को लगातार 30 दिन तक पढाया। ज्ञानी बिल्ली शेर को जितना पढ़ाना चाहती थी, वो पढ़ा चुकी थी। अब वो शेर को इसके आगे नहीं पढ़ाना चाहती थी।
30 दिन पुरे होने पर ज्ञानी बिल्ली ने शेर को कहा कि अब आपकी पढाई पूरी हो गई है, अब आपको यहाँ आने की जरुरत नहीं है, अब आप सब कुछ सीख गए हो, जो मै सिखाना चाहती थी।
शेर यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ, उसने ज्ञानी बिल्ली से कहा.. क्या मै सब कुछ सीख गया हूँ। ज्ञानी बिल्ली बोली.. हाँ आपको जो मुझे पढ़ाना चाहिए था, वो मैंने आपको पढ़ा लिया है, अब आप अपनी आगे की जिन्दगी आसानी से जी सकते है।
शेर ने जोर से एक दहाड़ लगाई, जिससे बेचारी ज्ञानी बिल्ली डर गई। शेर बोला.. आपने जो मुझे शिक्षा दी है, क्या मै इसका प्रयोग आज से कर सकता हूँ। ज्ञानी बिल्ली बोली.. हाँ, पर जब इसकी जरुरत हो, तब ही प्रयोग करना।
शेर बोला.. ठीक है, पर मै इसका प्रयोग सबसे पहले आप पर ही करना चाहता हूँ। ज्ञानी बिल्ली बोली.. पागल हो क्या? मै तुम्हारी गुरु हूँ और तुम ऐसे मुझ पर प्रयोग नहीं कर सकते।
शेर का इरादा नेक नहीं था, शेर के मन में क्या चल रहा था, यह ज्ञानी बिल्ली जान चुकी थी। जैसे ही शेर उस पर झपट पड़ा, वैसे ही ज्ञानी बिल्ली दौड़ते हुए गई और एक बड़े से पेड़ पर चढ़ गई।
शेर बोला.. आपने तो मुझे पेड़ पर चढ़ना सिखाया ही नहीं। ज्ञानी बिल्ली बोली.. मुर्ख, अगर तुझे पेड़ पर चढ़ना सिखाती, तो आज तू मुझे ही मार कर खा जाता।
तूने अपने ही गुरु पर हमला कर गुरु जाति का अपमान किया है, भविष्य में तुझे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, यह मेरा तुझे श्राप है। चल, अब तु मेरी नज़र से दूर हो जा और फिर कभी यहाँ नज़र नही आना, नहीं तो मैं तुझे कोई और श्राप दे दूंगी। यह सुनकर शेर दुम दबाकर भाग गया।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी पर भी आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए, यहाँ लोग अपने गुरु तक को नहीं छोड़ते है, तो वे आपको कैसे बख्शेंगे।