Mahatma Gandhi’s introduction to life, महात्मा गांधी के जीवन का परिचय, Essay on Mahatma Gandhi, महात्मा गांधी पर निबंध, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी.
आज हम इस लेख में ‘मोहनदास करमचंद गांधी’ उर्फ़ ‘महात्मा गांधीजी’ के जीवन चरित्र के बारे में जानने वाले है। इस लेख में हम महात्मा गांधीजी के जीवन से लेकर उनके देहांत तक सभी जानकारी जानने वाले है।
महात्मा गांधीजी की जीवनी (Biography of Mahatma Gandhi)
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम ‘मोहनदास गांधी’, गांधीजी के पिता का नाम ‘करमचंद गांधी’ और माता का नाम ‘पुतलीबाई’ था। उनका पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी’ था। महात्मा गांधी एक महान व्यक्ति थे, इसलिए सभी भारतवाशी उन्हें प्यार से बापू बुलाते है।
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 October 1969 पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। गांधीजी के पिता श्री करमचंद गांधी राजकोट में दीवान थे। और माताजी एक दया, भावना तथा धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। महात्मा गांधीजी का बचपन माता पिता के साथ गुजरा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी में दया, प्रेम, तथा ईश्वर के प्रति श्रद्धा भाव बचपन में ही जागृत हो चुके थे।
महात्मा गांधीजी का विवाह (Mahatma Gandhi’s marriage)
मोहनदास गांधी उर्फ़ महात्मा गांधीजी का विवाह 13 वर्ष की आयु में ही 14 वर्ष की कस्तूरबा माखनजी से हो गया था। जानकारी के लिए आपको बता बता दूँ कि हमारे गांधीजी उनकी पत्नी कस्तूरबा से 1 साल से छोटे थे। जब गांधीजी का विवाह हुआ, उस समय उनकी पढाई भी शुरू थी, उन्होंने अपनी पढाई बरक़रार रखा।
गांधीजी की आजादी के लिए संघर्ष (Gandhi’s struggle for freedom)
फिर कुछ दिनों बाद में उन्होंने कानून की पढाई शुरू किया, लन्दन से कानून की डिग्री प्राप्त किया। उसके कुछ समय बाद भारत के राजकोट शहर में अपने वकालत का कार्य और उसके लिए एक कार्यालय शुरू किया।
फिर और कुछ दिन का विदेश सफर और फिर कुछ दिनों बाद उनका भारत आना हुवा। उन्होंने देखा की भारतीयों पर अत्याचार हो रहा है, उन्होंने हो रहे अत्याचार के विरुद्ध प्रश्न उठाया।
ब्रिटिश सरकार हमारे भारतीयों पर अपना हुकुम चला रही थी। भारतीयों पर हो रहे अत्याचार को देख कर गांधीजी को बहुत दुःख हुआ। उसके बाद उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज उठाया, और फिर कई सारे आंदोलन किये।
महात्मा गांधीजी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए सदैव सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और आंदोलन किया, बहुत संघर्ष किया, और बड़े बड़े वीर सेनानियों के मदद से देश को पुर्णतः आजादी (independence) दिलाई।
यहीं नहीं, महात्मा गांधीजी ने विदेशी वस्तुओं का बहिस्कार तथा स्वदेसी वस्तुओं का उपयोग करने के लिए भारतियों को प्रेरित किया। इसके लिए भारतीयों ने गांधीजी का साथ दिया और विदेशी कंपनियों को देश के बाहर भगाया।
महात्मा गांधीजी की हत्या (Assassination of Gandhiji)
मोहनदास उर्फ़ महात्मा गांधीजी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “राष्ट्रपिता और बापू” के नाम से जाने जाते है। महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। वह सदैव सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहे।
तत्पश्चात एक दिन यानी 30 Jan 1948 को गांधीजी दिल्ली बिरला भवन में थे। उस समय नाथूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। फिर कुछ दिनों बाद नवम्बर 1949 में नाथूराम गोडसे तथा उसके साथीयों को भी फांसी दे दी गयी।
नाथूराम गोडसे व उसके साथी गांधीजी को दोषी मानते थे। क्योकि आज़ादी के कुछ सालो बाद गांधीजी ने पाकिस्थान को 55 करोड़ रुपये दिए थे। इसलिए नाथूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
राजघाट, दिल्ली में लाखो लोगों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। महात्मा गांधी की समाधि दिल्ली के राजघाट में है। यहीं वजह है कि भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
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Nice charitra
Very nice
Bahut hi acchi jankari post kiye aapne mahatma gandhi ji ke bare me.
Mujhe bhi diamond top-up karana hai