क्या आप भी इस तरह दिवाली मनाना चाहते है | Do you also celebrate Diwali like this
दिवाली के इस पावन अवसर पर हम माता लक्ष्मी की आराधना करते है। जब भगवान् श्रीराम रावण से युद्ध करके माता सीता को अयोध्या में लाये थे तब दीपावली का पावन त्यौहार मनाया गया था। घर-घर में दीपकों की रौशनी से पूरी अयोध्या जगमगा रही थी। दीपावली के इस बेहतरीन अवसर पर सुगंधीत वातावरण होना चाहिए पर आजकल ऐसा बिलकुल भी नहीं होता।
जब भी दीपावली का त्यौहार आता है, फटाके, फुलझड़िया, राकेट उडाये जाते है, जिनके कारण वायु प्रदुषण होता है। फटाके फोड़ने पर जो धुंवा हवा में फ़ैल जाता उससे वायु प्रदुषण होता है, और उसको हम श्वास के द्वारे अपने शरीर में ग्रहण कर लेते है, जिससे सेकड़ो बिमारिया जन्म लेती है। हम लोग सिर्फ अपने मौज-मस्तियों के लिए कई तरह के फटाके फोड़ते है लेकिन इस मौज-मस्ती से कई सारी बिमारिया उत्पन्न हो जाती है। जो प्राणी जीवन के लिए बेहद ही हानिकारक है।
यदि आप इस मौज-मस्ती को अर्थात फटाके का उपयोग त्याग दे तो वायु प्रदुषण नहीं होगा जो फटाको की वजह हो रहा था। वायु दूषित होने के वजह से जो बिमारिया पैदा होती थी उस पर भी रोक लग जायेगा। कहते है प्राणी जीवन के लिए वायु और पानी सबसे अहम् है, यदि यह दूषित हो गए तो, प्राणी जीवन खतरे में आ जाएगा। इसलिए आप इस दिवाली में फटाको का त्याग कर वायु प्रदुषण होने से बचाये।
Leave a Reply