धूर्त लोमड़ी की कहानी – Dhurt Lomdi Ki Kahani

एक बहुत बड़ा जगल था। उस जंगल में कई सारे प्राणी थे और उस प्राणियों में एक लोमड़ी भी थी। उस जंगल का राजा शेर था। वह जो कहता था, वह सभी उस जंगल के प्राणियों को मानना पड़ता था।

धूर्त लोमड़ी की कहानी- Dhurt Lomdi Ki Kahani
धूर्त लोमड़ी की कहानी- Dhurt Lomdi Ki Kahani

लोमड़ी बहुत ही चतुर थी, वह किसी भी हालत में उस जंगल पर राज करना चाहती थी। एक दिन वो इसी सोच में चलते चलते एक गाँव में पहुँच गई। रात का समय में था, वह चलते चलते ऐसी जगह गीर गई, जहाँ कपड़ो को लगाने वाला नील भिगोया हुआ था।

दरअसल जमीन के अन्दर एक ‘कंक्रीट सीमेंट का एक टाका’ बनाया हुआ था और उस टाके में कपड़ो को लगाने वाला नील भिगोया हुआ था और नील में लोमड़ी जा गिरी, जिसके वजह से लोमड़ी पूरी तरह से नीले रंग की हो गई थी।

खुद को नीले रंग का देखकर लोमड़ी के मन में एक योजना विकसित हुई और फिर वह जंगल में गई। जंगल के सभी जानवर उसे देखकर यह सोचने लगे कि यह कौन सा जानवर होगा।

तब धीरे धीरे सभी जानवर इकट्ठा हुए और उसे देखने लगे, लोमड़ी ने बताया कि मुझे भगवान ने इस जंगल की रक्षा करने के लिए भेजा है। आज से मै इस जंगल की रानी हूँ। तुम सबको मेरी बात माननी होगी और जो कोई भी मेरी बात नहीं मानेगा, उसे मार दिया जाएगा।

सभी जानवरों ने कहा कि हम आपकी बात मानेंगे, जब यह बात शेर तक पहुंची तो शेर भी उस लोमड़ी की सेवा में आ गया। शेर ने कहा कि हम सब आपकी बात मानेंगे और यहाँ आपको किसी भी चीज की कमी नहीं होगी।

जंगल में लोमड़ी की सेवा एक महारानी की तरह होने लगी, लोमड़ी इस योजना और जानवरों द्वारा की जाने वाली सेवा से बहुत खुश थी और यही वह चाहती थी।

कुछ दिनों बाद जंगल की अन्य लोमड़ीया रात के समय आवाज करने लगी। उस आवाज को सुनकर महारानी लोमडी अपने आप को रोक नही पाई और वह भी लोमडी की आवाज निकालने लगी।

यह देख शेर और अन्य जानवर समझ गए कि यह एक धूर्त लोमड़ी है, जो हमें बेवकूफ बना रही है कि इसे भगवान ने भेजा है। उसके बाद शेर का दिमाग ख़राब हुआ और उसने उस धूर्त लोमड़ी को कच्चा चबा डाला और इस तरह धूर्त लोमड़ी मारी गई।

 

इस कहानी से क्या सीख मिलती है

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें महान बनने के लिए कभी भी किसी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए, क्योंकि झूठ एक दिन सामने आता ही है।

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