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जीवन का कड़वा सच (Bitter truth of life)
हमारे जीवन का एक मात्र सच मौत हैं| जो हर किसी को एक निश्चित समय पर आना तय हैं| जन्म और मृत्यु यह किसी के हाथ नहीं बल्कि यह कुदरत का एक अनोखा नियम हैं जो हर किसी के नसीब में लिखा गया हैं| एक अटल सत्य जो कोई नहीं बदल सकता.. चाहे वो साधारण मनुष्य, प्राणी, दानव या स्वयं साक्षात ईश्वर क्यों न हो| मौत यह कभी किसी में भेदभाव नहीं करती है, यह अमिर-गरीब, स्त्री-पुरुष, बच्चा-बूढ़ा हर किसी के जीवन में सही समय पर आती हैं| इस जीवन प्रक्रिया से कोई भी मुक्त नहीं हो पाया हैं| यह जीवन का ऐसा एक कटु सत्य हैं जो कभी किसी भी सुखी जीव को पसंद नहीं हैं|
मृत्यु यह जीवित प्राणी का सबसे बड़ा डर हैं, जो कभी किसी को चैन से जीने नहीं देता हैं| जब भी किसी जीवित प्राणी को उसके मौत का ख्याल आता हैं तो वो कम्पित हो उठता हैं| एक अनोखा डर उसके मन में तैयार होता हैं, जो उसे उसके समस्त जीवन काल का बोध कराता हैं| हमारा जीवन यह एक मात्र सच पर टिका हुआ हैं, जो हमारे जीवन को दिशा तथा पथ को प्रदर्षित करता हैं| हमारे मौत की परिभाषा हमारा जीवन काल हैं|
जो हमने हमारे पुरे जीवन काल में कार्य किये है वही हमारे मौत के समय काम आता हैं| हमारी मृत्यु यह हमारे जन्म के वक़्त ही निश्चित हो जाती हैं की यह कहा, किस समय और किस तरह से होंगी| परन्तु इस सच को मनुष्य जानते हुए, पहचानते हुए, भी दूर भागता हैं और अनजान बनने की कोशिश करता रहता हैं| जीवन का यह सच एक तरह से हमें हमारे मुक्ति की और लेके जाता हैं, जो हमें हमारे जीवन का सही मायनो में अर्थ समझाते हुए एक नई राह बताता है, जो हमें हमारे जीवन का सच बतलाते हुए कठिन परिश्रम कर जीवन को सफलार्थ बनाने में मदत करता हैं|
हमारे अत्यंत कठिन परिश्रम के बाद ही जीवन को सार्थक बांनाया जाता हैं| जीवन को सार्थक बनाने के लिए कुछ ऐसे कर्म करे जिससे हमारा यह जीवन सर्वश्री उपयोगी बने| जीवन का अंत जब निकट आये तो नेक कर्म कर आगे आकर मौत को गले लगाए| जीवन का सच यह मोक्ष हैं जो अंत की ओर लेके जाता हैं|
जिस मनुष्य ने इस सच को जान लिया वो तमाम मोह माया से परे होकर सोचने लगता हैं| उसका जीवन यह सात्विक बन उसे जीने की नई दिशा दे जाता है| समाज के लिए जीवन को समर्पित करने की क्षमता प्रदान करता हैं| जीवन का सच जानने के बाद उसे स्वीकारकर अपना हर पल, हर दिन, हर घडी अंत की घडी समजकर उसे नेक कार्य में अर्पण कर उसे जीने की चाह रखता हैं|
जीवन का सच हमें न केवल हमें हमारे मौत से रूबरू करवाता हैं बल्कि हमें जिंदगी जीने का नया तरीका सीखाता हैं| मनुष्य के जीवन का सच यह केवल मृत्यु नही बल्कि उसके पीछे के पाप, पुण्य तथा मोक्ष पर भी निर्भर हैं| मनुष्य यह अपने जीवन को एक नया रूप दे उसे सार्थक बनाने में जूट जाता हैं| मनुष्य को अपने जीवन में नए कार्य करने हेतु उसे नई दिशा देकर प्रेरित करता हैं| मनुष्य का जीवन यह एक धारा हैं, जिसमे अनेक तरह की समस्या, कठिनाइयाँ, परेशानियाँ, सुख, दुःख तथा कई मुसीबतो से झुलसी हुई हैं|
जीवन काल में बिताया गया हर पल, हर कदम हमें हमारे मौत अर्थात हमारे जीवन के अटल सत्य की और लेकर जाता हैं| जीवन का सच यह तो तय है परन्तु जीवन का अंत हमें किस तरह करना हैं यह हमारे कर्मो पर निर्भर हैं| जीवन का अंत तब होता है जब हमारे जीवन का समस्त दर्शन होता हैं की हमने अपने जीवन में किये गए कार्य किस तरह किये उसका कुछ अच्छे के लिए उपयोग हुआ हैं या नहीं|
हमारे जीवन का सारांश हमारे अंतिम वक़्त में अर्थात हमारे मृत्यु के समय हमारे समक्ष आता हैं जो अटल सत्य बनकर हमारी प्राण जोत हर लेता है और यही हमारे जीवन का अटल सत्य है|
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Author: Mansi
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Very nice to read this article