बारहसिंगा हिरण की कहानी
एक जंगल में एक बारहसिंगा हिरण रहता था। वह बार बार तालाब के पास केवल इसलिए जाता था, क्योंकि वह तालाब के पानी में अपने सुंदर सींगो को देख सके।
वह अपने सुंदर सींगो को देखकर बहुत खुश हो जाता था, इसलिए वो बार बार तालाब के पास जाता और अपनी सींगो को देखता था। लेकिन जब भी वह अपनी पतली टांगो को देखता तो बहुत दु:खी हो जाता था।
उसे लगता था कि भगवान ने सबकी टांगे अच्छी और मजबूत बनाई है, जबकि मेरी ही टांगे पतली बनाई है। इसलिए जब भी वो अपने टांगो को देखता तो भगवान को भला-बुरा जरुर कहता था।
एक बार कुछ शिकारी कुत्ते जंगल में आते है और बारहसिंगा हिरण का पीछा करते है, यह देख बारहसिंगा हिरण जोर जोर से भागने लगता है और जोर जोर से भागने में उसकी पतली टांगे ही उसकी मदद करती है।
लेकिन भागते भागते अचानक उसकी सींगे कुछ टहनियों के बीच फस जाती है, जिससे वह शिकारी कुत्तो के हाथ लग जाता है। जिससे बाद उसे याद आता है कि जोर जोर से भागने में मेरी पतली टांगो ने ही मेरी मदद की है, जबकि मेरे सुंदर सींगो ने मुझे कुत्तो के हवाले कर दिया है।
कुत्तो ने काट काटकर उसे घायल कर दिया था, बड़े मुस्किल से एक फ़ॉरेस्ट गार्ड ने उसकी जान बचाई। उसके बाद उसने कभी भी अपनी पतली टांगो के लिए भगवान को भला-बुरा नहीं कहा।
क्योंकि वह जान चूका था कि यहीं पतली टांगे उसे मुसीबत के समय जोर जोर से भागने में उसकी मदद करती है। उसके बाद उसने भगवान से अपनी गलती के लिए (भला-बुरा कहने के लिए) माफ़ी भी माँगी।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
यह कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी चीज उसके गुणों के कारण ही सुंदर होती है न कि उसके सुंदर दिखावे के कारण।