आज हम इस लेख में महाभारत के अर्जुन के बारे में कुछ रोचक बाते, रोचक तथ्य, रोचक जानकारी जानने वाले है। अर्जुन कौन था, उसका जन्म कैसे हुवा, उसका जीवन परिचय, उसकी शिक्षा, उसका विवाह आदि सभी जानकारी हम इस लेख में जानेंगे। Interesting stories about Arjuna of Mahabharata.
अर्जुन का जन्म (Birth of Arjun)
अर्जुन महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। लेकिन अर्जुन रानी कुन्ती को इंद्रदेव द्वारा प्राप्त एक वरदान है। इसलिए महाभारत में इन्द्र को अर्जुन के पिता का दर्जा दिया गया है। अर्जुन का पालन पोषण अच्छे माहौल और संस्कारो में हुवा। अर्जुन एक धर्मपरायण और आज्ञाकारी एवं सभी को मान-सन्मान देने वाला व्यक्ति था।
महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती बहुत खुश थे की उन्हें ऐसा आज्ञाकारी पुत्र प्राप्त हुवा। अर्जुन एक पराक्रमी व दयालु व्यक्ति था। जब अर्जुन बड़ा हो गया तब महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती ने उसे शिक्षा कराने के बारे में सोचा और उसे गुरु द्रोणाचार्य के पास भेज दिया।
अर्जुन की शिक्षा (Arjun’s education)
अर्जुन गुरु द्रोणाचार्य के पास शिक्षा ग्रहण करने आ गया, गुरु द्रोणाचार्य को अर्जुन से अधिक ही लगाव था क्योंकी अर्जुन एक सीधा साधा आज्ञाकारी, तेज दिमाग एवं पराक्रमी था। गुरु द्रोणाचार्य के पास अर्जुन जैसा तेज दिमाग एवं पराक्रमी और एक शिष्य था, जिसका नाम एकलव्य था।
गुरु द्रोणाचार्य को अर्जुन से अधिक ही लगाव था क्योंकी अर्जुन एक सीधा साधा आज्ञाकारी ने अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने के लिये एकलव्य का अगूठा गुरुदक्षिणा में माँग लिया ताकि अर्जुन जैसा पराक्रमी एवं धनुर्धर व्यक्ति कोई ना हो, परंतु इस बात के लिए अर्जुन ने गुरु का विरोध भी किया था। शिक्षा ग्रहण कर अर्जुन एक शूरवीर धनुर्धर बन गया था।
अर्जुन का विवाह (Marriage of arjun)
जब अर्जुन गुरु द्रोणाचार्य के पास से शिक्षा ग्रहण कर आये उसके बाद अर्जुन ने कई प्रराक्रमो में विजय प्राप्त किया। जहाँ वहाँ अर्जुन की जयजयकार होने लगी उसके बाद महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती को लगा की इसका विवाह कर देना चाहिए तब उन्हें पता चला की पांचाल-राज्य में, जहाँ द्रौपदी का स्वयंवर होनेवाला था, फिर वो वहा गए।
द्रोपदी दिखने बहुत सुन्दर थी, इसलिए महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती ने अर्जुन को द्रौपदी स्वयंवर में भाग लेने के लिए कहा। अर्जुन ने द्रौपदी स्वयंवर में भाग लिया और पांचाल-राज्य में अर्जुन के लक्ष्य-भेदन के कौशल से मत्स्यभेद होने पर पाँचों पाण्डवों ने द्रौपदी को पत्नीरूप में प्राप्त किया। द्रोपदी से एक पुत्र हुवा, जिसका नाम श्रुतकर्मा था।
उसके बाद सुभद्रा जो कृष्ण भगवान की बहन है उसे अर्जुन ने कृष्ण भगवान की कहने पर द्वारिका से भगा के लाया था। सुभद्रा से वीर अभिमन्यु प्राप्त हुवा था।
अप्सरा उर्वशी का शाप (Curse of Apsara Urvashi)
कुछ दिनों के बाद मतलब 1 वर्ष के अज्ञातवास् के दौरान एक दिन इंद्र अर्जुन को स्वर्ग लेकर जाते है। उस समय स्वर्ग की अप्सरा उर्वसी अर्जुन पर मोहित हो जाती है। इंद्र को भी लगता है की, अर्जुन भी उसे पसंद करता है, इसलिए इंद्र उर्वसी को अर्जुन के पास भेजता है लेकिन धर्मपरायण अर्जुन उर्वसी का प्रेम निवेदन ठुकरा देता है, जिस पर उर्वसी नाराज होकर अर्जुन को एक साल तक नपुंसकता का श्राप दे देती है।
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