शेर और चूहे की कहानी – Sher aur Chuhe ki Kahani
यह कहानी एक शेर और एक चूहे की है और इस कहानी में चूहा शेर की जान बचाता है। एक बार एक जंगल में शेर गहरी नींद में सो रहा होता है। तब एक चूहा उसके ऊपर चढ़ जाता है और उछल कूद करने लगता है।
चूहे की उछल कूद से गहरी नींद में सो रहा शेर नींद से जाग जाता है और चूहे को कहता है.. मेरी हठी तो दुर्धटना घटी, अब तुझे छोडूंगा नहीं चूहे। तूने मुझे बहुत परेशान किया है और तेरे कारण मेरी नींद पूरी नहीं हुई।
अब मेरा दिमाग ख़राब हो गया है, अब तुझे छोडूंगा नहीं। चूहा यह सुनकर डर से थर-थर कापने लगता है और फिर भागने लगता है लेकिन शेर उसे पकड़ लेता है।
डर के मारे चूहा थर-थर कापते हुए बोलता है.. मुझे माफ़ कर दीजिये.. मुझे माफ़ कर दीजिये.. आज के बाद मै ऐसा कभी नहीं करूँगा। प्लीज प्लीज प्लीज मुझे माफ कर दीजिये।
मै कसम खाकर कहता हूँ कि आज के बाद मै न तो आपको और न ही किसी को ऐसे परेशान करूँगा और आपको मेरी कभी भी जरुरत पड़े तो मै आपके काम जरुर आऊंगा या आपकी मदद जरुर करूँगा।
यह सुनकर शेर को बहुत हसी आती है, क्योंकि चूहा शेर की मदद करूँगा बोलता है। शेर को लगता है कि यह छोटा सा चुहाँ मेरी क्या मदद करेगा। फिर भी उसकी साहसिकता को देखते हुए शेर चूहे को छोड़ देता है।
उसके कुछ दिनों जगल में कुछ शिकारी शेर का शिकार करने आते है और जाल बिछाते है और उस जाल में शेर फस जाता है। उसके बाद वे लोग उस शेर को एक पेड़ से बांधकर रखते है।
शेर जोर-जोर से चीखने चिल्लाने, दहाड़ने लगता है, शेर की चीखने चिल्लाने और दहाड़ने की आवाज सुनकर चूहे को लगता है कि शेर किसी मुसीबत में है, उसे जाकर देखना चाहिए।
वह जाकर देखता है तो शेर एक जाल में फसा हुआ और एक पेड़ से बंधा हुआ होता है। यह देखकर तुरंत चूहा मदद के लिए दौडता है और जाल को अपने दांतों से कुतर-कुतर के शेर को उस जाल से आजाद कराता है। उसके बाद शेर तहे दिल से चूहे को धन्यवाद कहता है।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है। समय आने पर छोटा भी बड़ो के काम आ सकता है।