संगति का असर – Sangti Ka Asar
यह कहानी राम और श्याम दोनों भाईयों की है। दोनों भाई एक ही कक्षा में पढ़ते थे। राम और श्याम दोनों ही पढाई में अव्वल थे। 10वीं और 11वीं कक्षा में राम और श्याम दोनों ने ही टॉप किया था।
लेकिन 12वीं कक्षा में श्याम ठीक से पढाई नहीं कर पाता था, क्योंकि वो गलत संगति में पड़ गया था। 12वीं कक्षा में श्याम के ऐसे दोस्त बन चुके थे, जो पढाई में बिल्कुल जीरो थे, जिनकी पढाई में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी।
राम ने श्याम से कई बार कहा है कि ऐसे दोस्तों के साथ मत रहो, जिन्हें पढ़ाई में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है, लेकिन श्याम ने राम की एक नहीं सुनी।
राम और श्याम के पिता अपने दोनों बेटो के बारे में सोसाइटी में बड़ी-बड़ी बातें करते थे। क्योंकि उन्हें पता था कि उनके दोनों बेटे पढाई में बहुत अच्छे है, और वो उनका नाम ऊँचा करेंगे।
लेकिन जब 12वीं कक्षा का रिजल्ट आता है तो राम अच्छे अंको के पास हो जाता है, जबकि श्याम परीक्षा में फेल हो जाता है। यह देख कर उसके पिता बुरी तरह टूट जाते है।
सोसाइटी में उनका नाम ख़राब हो जाता है, लोग तरह तरह के बातें करने लगते है। यह देख श्याम को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है और वह अपने आपको कोसते रहता है कि यदि मैंने राम की बात सुनी होती, तो आज मेरे पिता को ये दिन नहीं देखने पड़ते।
उसके बाद वह अगले साल फिर से 12वीं की परीक्षा के लिए फॉर्म भरता है और उन दोस्तों का साथ छोड़ देता है, जिन्हें पढ़ाई में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है।
उसके बाद वह ऐसे छात्रों के साथ रहने लगता है जो पढ़ाई में बहुत अच्छे होते हैं। इसके अलावा इस बार वह मन लगाकर पढ़ाई करता है और 12वीं की परीक्षा देता है और अच्छे अंकों से परीक्षा भी पास करता है।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
यह कहानी हमें सिखाती है कि संगत के साथ रंगत आ जाती है। जैसी संगति वैसा ही परिणाम।