एक मूर्ख गधे और गीदड़ की कहानी
एक गाँव में एक साहूकार रहता था। उसके पास एक गधा था। साहूकार उस गधे से दिनभर काम करवाता था, लेकिन उसे खाना देने में बड़ी ही कंजुशी कर रहा था।
एक दिन गधा रात में उदास होकर बैठा था, उसे देख गीदड़ उसके पास आया और बोला.. ‘अरे क्या हो गया गधे भाई, ऐसे उदास क्यों हो? गधा बोला.. क्या बताऊ भाई, मेरा मालिक बड़ा ही जालिम है।
मेरा मालिक मुझसे दिनभर काम तो करवाता है, लेकिन मुझे खाना पेट भर नहीं देता, मै कई दिनों से आधा पेट खाना खाकर अपनी जिन्दगी बिता रहा हूँ।
यह सुनकर गीदड़ बोला.. कोई बात नहीं, मै तुझे आज पेट भर खाना खिलाऊंगा, चलो मेरे साथ। गधा खाने की बात सुनकर बड़ा ही खुश हुआ और गीदड़ के साथ एक ऐसी जगह गया जहां खाने की कोई कमी नहीं थी।
वहाँ पर बहुत सारी हरी-हरी सब्जियाँ थी, यह देख गधा बड़ा ही खुश हुआ। गीदड़ बोला.. अब यहाँ तुम बिना आवाज किये पेट भर खाना खा सकते हो।
गधे ने हरी-हरी सब्जियाँ खानी शुरू की, एक डेढ़ घंटे के बाद गधे का पेट पूरा भर गया। उसके बाद गधा बोला.. शुक्रिया गीदड़ भाई, आज तुम्हारी वजह से मुझे पेट भर खाना खाने को मिला।
आज की रात मेरे लिए एक सुनहरी रात है, मैं इसे रंगीन बनाना चाहता हूं। देखो भाई आज ये चाँद भी देखने में कितना सुन्दर लग रहा है। इस सुनहरी रात में खाना खाने के बाद अब मेरा गाना गाने का बहुत मन कर रहा है।
गीदड़ बोला.. अरे क्या बोल रहे हो, मुर्ख हो क्या? गाना गाओगे तो इस खेत का चौकीदार जाग जाएगा और हम दोनों के लिए परेशानी होगी। गधा बोला.. तुमने मुझे ‘मूर्ख’ कहा।
गीदड़ बोला.. मूर्ख जैसी बात करोगे तो मूर्ख नहीं तो क्या कहूँगा। इस खेत का यदि चौकीदार जाग गया तो हम दोनों के लिए परेशानी होगी। लेकिन गधा गीदड़ की कोई भी बात मानने को तैयार नहीं था।
उसके बाद गीदड़ ने सोचा कि यहाँ से निकलने में ही उसकी भलाई है, उसके बाद गीदड़ बोला.. भाई वैसे गाना तो आप बहुत बढियां गाते हो। मैं फूलों के हार के साथ आपका स्वागत करना चाहता हूं। मैं तुम्हारे लिए फूलों का हार लाने जा रहा हूं, तब तक तुम मस्त गाना गाओ।
गीदड़ के जाते ही मुर्ख गधा ढेचू-ढेचू करके गाना गाने लगा और उसकी आवाज से उस खेत का चौकीदार नीद से जाग गया। वो बड़ी सी लाठी लेकर आया और उसने गधे को मार-मार कर अधमरा कर दिया।
मुर्ख गधा वहां से बड़ी ही मुस्किल से अपनी जान बचाकर भागा, उसके बाद गधे को अपनी गलती का अहसास हो गया कि अगर मैंने गीदड़ की बात मान ली होती तो आज मुझे इतनी मार नहीं पड़ती।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें कभी-कभी दूसरो की सलाह भी मान लेनी चाहिए, नही तो उसका परिणाम बहुत ही भयानक हो सकता है।