लोमड़ी और अंगूर की कहानी – Lomdi aur Angur ki Kahani
गाँव के पास एक छोटा सा जंगल था। उस जंगल में लोमड़ी रहती थी। एक दिन लोमड़ी को बहुत ही जोरो से भूख लगी। लोमड़ी ने सारा जंगल छान मारा, लेकिन उसे खाने के लिए कुछ नहीं मिला।
लोमड़ी भूख से बहुत ही परेशान थी और बार बार पानी पीये जा रही थी। तब उसने सोचा कि पास के गाँव में जाना चाहिए, क्योंकि उसे वहां कुछ न कुछ खाने को जरुर मिल जाएगा।
फिर वह पास के एक गाँव में पहुँची, वह प्रत्येक घर के पास से यह देखते हुए जा रही थी कि उसे कुछ न कुछ खाने को जरुर मिल जाएगा। तब उसे एक घर में छत पर लटके अंगूर दिखाई दिए।
अंगूर काफी रसीले दिखाई दे रहे थे, अंगूर देख लोमड़ी में मुह में पानी आ गया। लोमड़ी मन ही मन में यह सोच रही थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, ये अंगूर तो मै जरुर खाऊँगी।
अंगूर खाने के लिए जब वह उसके पास गई तो उसने देखा कि अंगूर उससे कुछ फुट के ऊंचाई पर थे, जो छत पर लटक रहे थे। अब लोमड़ी को वह अंगूर खाने के लिए काफी जोर से छलांग लगानी पड़ेगी।
लोमड़ी ने यह सोच लिया था कि वह यह अंगूर खाकर ही यहाँ से जाउंगी, क्योंकि ऐसे अंगूर उसे कहीं पर भी नहीं मिलेंगे और वो इसके लिए कितनी भी बार छलांग लगाने के लिए तैयार थी।
अब लोमड़ी को रहा नहीं जा रहा था, तब लोमड़ी ने जोर से अंगूर की ओर छलांग लगाई पर वो अंगूर तक पहुँच नहीं पाई। उसके बाद फिर से लोमड़ी ने अंगूर की ओर छलांग लगाई, पर इस बार वो चुक गई।
लोमड़ी ने अंगूर खाने के लिए बार बार छलांग लगानी शुरू कर दी, पर वो हर बार नाकाम हो रही थी, फिर भी उसका प्रयास जारी ही था। जब वो छलांग लगा लगाकर थक गई, तब वो वहां से चली गई। जब वो जंगल पहुंची, तब वह अपने मन ही मन में कहने लगी कि अंगूर खाने का कोई मतलब नहीं था, क्योंकि अंगूर खट्टे थे।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जो हमारे पास नहीं है उसका कभी भी तिरस्कार न करें, क्योंकि कुछ भी आसानी से नहीं मिलता है।