झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी
एक गाँव में दगडू नाम का एक लड़का रह रहा था, जिसके पास 5-6 भेड़-बकरियां थे। वह गाँव के पास की एक पहाड़ी पर अपने भेड़-बकरियां चराता था। उस पहाड़ी के नीचे दगडू का गाँव बसा हुआ था।
गाँव के सारे लोग अपने काम-काज में लगे रहते थे। एक दिन दगडू ने उन्हें बेवकूफ बनाने का सोचा, ताकि उसे मजा आए। उस दिन दगडू अपने सभी भेड़-बकरियां लेकर पहाड़ी पर चराने गया और कुछ ही देर में उसने लोगो को बेवकूफ बनाने के लिए जोर जोर से चिल्लाना शुरू किया कि भेड़िया आया, भेड़िया आया।
लोग ‘भेड़िया आया, भेड़िया आया’ ये सुनकर पहाड़ी के ओर लाठी और डंडे लेकर दौड़ते हुए आए, ताकि वे दगडू के भेड़-बकरियों को भेड़िए से बचा सके और भेड़िए को वहां से भगा सके।
जब वे लोग पहाड़ी पर आए तो उन्हें वहां कोई भेड़िया नहीं दिखा और भेड़-बकरियां आराम से चर रहे थे। जब लोगो ने दगडू से पूछा कि कहाँ है भेड़िया? तो दगडू बोला.. आप लोगो को आते देख भेड़िया भाग गया।
‘भेड़िया भाग गया’ ये सुनकर लोग भी वहां से जाने लगे, लेकिन दगडू मन ही मन में बोल रहा था कि मैंने लोगो को बेवकूफ बना दिया, आज तो मजा ही आ गया। कल फिर से लोगों को बेवकूफ बनाऊंगा, यह कहकर जोर-जोर से हसने लगा।
दुसरे दिन फिर दगडू अपने सभी भेड़-बकरियां लेकर पहाड़ी पर चराने गया और कुछ ही देर में उसने लोगो को बेवकूफ बनाने के लिए जोर जोर से चिल्लाना शुरू किया कि भेड़िया आया, भेड़िया आया।
‘भेड़िया आया, भेड़िया आया’ ये सुनकर लोग फिर से पहाड़ी के ओर लाठी और डंडे लेकर दौड़ते हुए आए, लेकिन वहां उन्हें कोई भेड़िया नहीं दिखा और भेड़-बकरियां आराम से चर रहे थे।
उसके बाद लोगो ने दगडू से पूछा कि कहाँ है भेड़िया? तो दगडू बोला.. आप लोगो को आते देख भेड़िया भाग गया। लोगो ने उसे कुछ नहीं कहा, लेकिन वहां से जाते हुए सभी लोग आपस में यह बात कर रहे थे कि यहाँ कोई भेड़िया नहीं आया होगा, यह बस हमे बेवकूफ बना रहा है।
उसके बाद सभी लोगो ने निर्णय लिया कि आज के बाद कोई भी दगडू के बातो में नहीं आएगा, यह बस हमे बेवकूफ बनाने के लिए ‘भेड़िया आया, भेड़िया आया’ चिल्लाता है।
लोगो के जाने बाद दगडू जोर जोर से हसने लगा और कहने लगा कि आज तो डबल मजा आ गया। कितने बेवकूफ लोग है जो आज भी नहीं समझ पाए कि मै इन्हें बेवकूफ बना रहा हूँ।
उसके बाद तीसरे दिन फिर दगडू अपने सभी भेड़-बकरियां लेकर पहाड़ी पर चराने जाता है। लेकिन वह सोचता है कि आज यदि मै ‘भेड़िया आया, भेड़िया आया’ चिल्लाऊंगा तो लोग समझ जायेंगे कि मै उन्हें बेवकूफ बना रहा हूँ, आज नही कल उन्हें बेवकूफ बनाते है।
अगले दिन फिर से दगडू अपनी सारी भेड़-बकरियों को पहाड़ी पर चराने के लिए ले जाता है और लोगो को बेवकूफ बनाने के बारे में सोच ही रहा होता है कि इतने में सच में भेड़िया आता है।
‘भेड़िया’ को देखकर दगडू के पैरो के नीचे से जमीन खिशक जाती है, तब वो डर के मारे एक पेड़ पर चढ़ जाता है और जोर जोर से चीखने चिल्लाने लगता है कि भेड़िया आया-भेड़िया आया, कोई मेरी मेदद्द करो।
लेकिन इस बार कोई भी व्यक्ति दगडू की बातों नहीं आना चाहता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि दगडू आज फिर हमें बेवकूफ बनाना चाहता है। दगडू कई बार ‘भेड़िया आया, भेड़िया आया’ ‘कोई मेरी मेदद्द करो’ ऐसे चीखता है, चिल्लाता है।
लेकिन दगडू की मदद के लिए कोई नहीं आता है। इधर भेड़िया एक एक करके दगडू के सारे भेड़-बकरियों को मारकर खा जाता है और दगडू पेड़ पर बैठे-बैठे रोता रहता है।
जब बहुत रात तक दगडू घर नहीं आया, तो गाँव वालें उसे ढूँढते हुए पहाड़ी पर पहुँचे, वहाँ पहुँच कर उन्होंने देखा कि दगडू पेड़ पर बैठा रो रहा था।
गाँव वालों ने किसी तरह दगडू को पेड़ से उतारा, उस दिन दगडू की जान तो बच गई, लेकिन उसकी प्यारी भेड़-बकरियां भेड़िए का शिकार बन चुकी थीं।
दगडू को समझ में आ गया कि गाँव वाले उसकी मदद के लिए क्यों नहीं आए थे। उसके बाद दगडू ने रोते हुए अपने गाँव वालो से माफी मांगी और कहा कि मैंने अपनी ही गलती के कारण अपनी सारी भेड़-बकरियां खो दी हैं।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठ बोलना बहुत बुरी बात है। झूठ बोलने की वजह से हम लोगों का विश्वास खोने लगते हैं और समय आने पर कोई हमारी मदद नहीं करता।