Bharat Ke Bare Me Jankari – Information About India in Hindi : इस लेख में आप भारत देश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी से परिचित होनेवाले है।
भारत देश के बारे में जानकारी – निबंध
भारत एक दक्षिणी एशियाई देश है, जो विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश है। इसका कुल क्षेत्रफल 3.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर है और इसमें करीब (2021 के अनुसार) 1.408 बिलियन लोग रहते हैं, जिससे यह दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है।
भारत का इतिहास बहुत प्राचीन है। यह एक आर्यों के द्वारा उत्पन्न देश माना जाता है, जो वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण जैसी महाकाव्यों से भरा हुआ है। भारत में बहुत सारे धर्मों के लोग रहते हैं, जिनमें हिंदू, मुसलमान, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई शामिल हैं।
भारत एक संवैधानिक लोकतांत्रिक देश है जिसमें राष्ट्रपति देश का राजनीतिक मुखिया होता है जबकि प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं। भारत की राजधानी नई दिल्ली है। भारत के अन्य नगरों में मुंबई, कोलकाता, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, जयपुर, और चंडीगढ़ शामिल हैं।
भारत एक विविधता से भरा हुआ देश है जिसमें अनेक भाषाएं, लोक संस्कृतियां, और धर्म शामिल हैं। हिंदी भारत की राजभाषा है, जबकि अन्य भाषाएं उनमें शामिल हैं, जैसे कि अंग्रेजी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती, कन्नड़, पंजाबी और असमिया।
भारत एक विश्व विरासत स्थल है जिसमें अनेक पर्यटन स्थल हैं। राजस्थान के थार मरुस्थल से लेकर हिमालय के सुंदर शिखरों तक, जम्मू-कश्मीर के घाटी से लेकर केरल के खूबसूरत तट तक, भारत अपनी प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति से जाना जाता है।
भारत एक व्यापक और विकासशील अर्थव्यवस्था वाला देश है। भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत एक उभरता हुआ और नवीनीकृत देश है जो आज विश्व में आधुनिक तकनीक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी देशों में से एक है।
भारत का इतिहास
भारत का इतिहास बहुत प्राचीन और विस्तृत है। यह दुनिया के सबसे पुराने और समृद्ध सभ्यताओं में से एक है। इसमें विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और राजनीतिक आंदोलनों का संगम है। भारत का इतिहास सम्राटों, शासकों, स्वतंत्रता संग्राम, और विभिन्न विदेशी आक्रमणों से भरा हुआ है। हजारों साल पहले से आधुनिक काल तक भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं।
भारत का इतिहास ब्रह्मपुत्र से गंगा, यमुना तथा नर्मदा जैसी नदियों की सहायता से निर्मित सभ्यताओं का इतिहास भी है। मौर्य साम्राज्य, मुगल साम्राज्य, विद्रोह तथा स्वतंत्रता आंदोलन भारत के इतिहास की अहम घटनाओं में से कुछ हैं। भारत का इतिहास भारतीय संस्कृति, धर्म तथा अर्थव्यवस्था का भी विस्तृत अध्ययन है।
भारतीय इतिहास में महान राज्य, संस्कृति और धर्म विकसित हुए हैं। भारतीय इतिहास की शुरुआत वेदों से हुई जो मानव जीवन, धर्म, राजनीति, वाणिज्य और विज्ञान के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। इसके बाद भारत ने मौर्य वंश, गुप्त वंश, मुगल साम्राज्य जैसे महान शासनकाल देखे हैं। अंततः, 1947 में भारत आज़ाद हुआ और देश ने स्वतंत्रता के बाद भी अपनी संस्कृति और तरक्की को बढ़ावा देते हुए दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
यदि आप भारत के इतिहास के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो आपको प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत और प्रारंभिक आधुनिक भारत का अध्ययन करना चाहिए तभी आप भारत के इतिहास को समझ सकते हैं।
प्राचीन भारत
प्राचीन भारत का इतिहास विशाल और समृद्ध है। भारत का प्राचीन इतिहास तीन युगों में विभाजित होता है – प्राचीन, मध्यकालीन, और आधुनिक। प्राचीन भारत के इतिहास का शुरुआत इंडस नदी के प्रदेश से हुआ था, जहाँ संस्कृति का जन्म हुआ था।
प्राचीन भारत का सबसे प्राचीन सभ्यता हरप्पा सभ्यता थी, जो करीब 2500 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक थी। इस सभ्यता के लोग सुशिक्षित और उन्नत थे। उनके लिए जीवन का धर्म, वैवाहिक जीवन, तथा देव पूजा आदि बहुत महत्वपूर्ण थे।
उसके बाद मौर्य साम्राज्य (322 ईसा पूर्व – 185 ईसा पूर्व) ने भारत में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया और अशोक नामक सम्राट ने बौद्ध धर्म का प्रचार किया। उसके बाद भारत में गुप्त साम्राज्य (320 ईसा – 550 ईसा) का आगमन हुआ, जो संस्कृति, कला, साहित्य, और विज्ञान में अत्यधिक उन्नति की थी।
प्राचीन भारत का इतिहास धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्ण था। हिंदू धर्म एक प्रमुख धर्म है जो प्राचीन भारत का संस्कृति और इतिहास का अभिन्न अंग था। हिंदू धर्म का विस्तार वेदों, उपनिषदों, रामायण, महाभारत, भगवद गीता आदि महत्वपूर्ण ग्रंथों से हुआ। यह धर्म समस्त विश्व में धार्मिक तथा दार्शनिक विचारों का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना।
प्राचीन भारत में मौर्य, गुप्त तथा मैत्रक साम्राज्यों ने राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में विस्तार किया। गुप्त साम्राज्य ने अपने समय में भारतीय संस्कृति के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उत्तराखंड में होने वाली केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री जैसी तीर्थस्थल भारतीय संस्कृति और धर्म के एक अहम अंग हैं।
प्राचीन भारत के इतिहास का अध्ययन हमें भारत की संस्कृति, विचारधारा, राजनीतिक इतिहास, लेखकों तथा दार्शनिकों की विचारधारा के बारे में जानने में मदद करता है।
मध्यकालीन भारत
मध्यकालीन भारत इतिहास चार युगों का आधार है – गुप्त युग, पोस्ट-गुप्त युग, पूर्व मध्यकालीन युग और वंशवादी युग। गुप्त साम्राज्य भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य था। इसके अधीन भारत विश्वविद्यालयों, कला, संस्कृति और धर्म के क्षेत्र में उद्भव हुआ।
गुप्त वंश के बाद, पोस्ट-गुप्त युग में, हर्षवर्धन सम्राज्य उभरा जो उत्तर भारत में शासन करता था। उसके अधीन विज्ञान, साहित्य और कला में विकास हुआ।
पूर्व मध्यकालीन युग में, मुस्लिम आक्रमण भारत में आया और सुल्तानों के शासनकाल में विविध साम्राज्यों का उदय हुआ। इस दौरान उर्दू भाषा में लेखन की शुरुआत हुई। वंशवादी युग में, मुगल साम्राज्य उत्पन्न हुआ जिसने भारत के इतिहास में अहम भूमिका निभाई।
इस दौरान विजयनगर साम्राज्य भी उभरा जो दक्षिण भारत में शासन करता था। इस युग में संगीत, कला, विज्ञान, तंत्रज्ञान और साहित्य में विकास हुआ।
मध्यकालीन भारत में संगीत, कला, विज्ञान, तंत्रज्ञान और साहित्य में विकास के दौरान कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं भी हुईं। इस दौरान महाकवि कालिदास ने रचनाएँ लिखीं जो भारतीय साहित्य के महत्त्वपूर्ण हिस्से हैं।
संगीत भी इस दौरान में विकसित हुआ। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के उदय का भी इस युग में हुआ जब मुगल सम्राज्य ने भारतीय संगीत को सपनों का नगर कहा। तंत्रज्ञान भी इस दौरान में विकसित हुआ। वैद्यकीय विज्ञान और अंग्रेजी भाषा की शिक्षा के विकास से इस क्षेत्र में तेजी से उन्नति हुई।
कला के क्षेत्र में भी इस दौरान में विकास हुआ। मुगल कला एक समृद्ध और सुंदर शैली थी जो मुगल सम्राज्य के समय में अपने शानदार श्रृंखलाओं और मकानों के लिए जानी जाती थी। इस युग में संगीत, कला, विज्ञान, तंत्रज्ञान और साहित्य में विकास हुआ और भारतीय संस्कृति का विस्तार हुआ।
मध्यकालीन भारतीय इतिहास में कई महान व्यक्तित्व थे। संघर्षों और राजनीतिक अस्थिरताओं के बीच भी इन व्यक्तित्वों ने अपने क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
महाराणा प्रताप, अकबर, बीरबल और तानसेन इस दौरान के प्रमुख व्यक्तित्व थे। महाराणा प्रताप राजस्थान के सिसोदिया राजवंश के राजा थे और मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ लड़े युद्ध में अपनी साहसिकता के लिए जाने जाते हैं। अकबर मुगल साम्राज्य के एक शासक थे जो भारतीय इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण दौर में राज्य को संगठित करने में मदद की। उनकी समझ और अद्भुत राजनीतिक नीतियों की वजह से वह एक महान राजा के रूप में याद किए जाते हैं।
बीरबल एक मुगल वजीर थे जिन्होंने अकबर की सेवा में अपने उद्दंड बुद्धिमत्ता और विवेक का प्रदर्शन किया। वे भारतीय राजनीति, संस्कृति और साहित्य के महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे।
मध्यकालीन भारत में तानसेन राजस्थान के राजा थे जो भारतीय इतिहास के इस दौरान के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में से एक थे। वे राजस्थान में उत्तर-पश्चिम के इलाकों को अपने अधीन करने के लिए संघर्ष करते रहे। तानसेन के समय में राजस्थान का इतिहास बेहतर तरीके से दर्ज होने लगा था।
मध्यकालीन भारतीय समाज में अन्य सामाजिक बदलाव भी हुए। समाज में वर्णव्यवस्था, जाति और धर्म के आधार पर व्यक्ति का स्थान निर्धारित होता था, लेकिन इस युग में व्यक्तियों को अपने काम के आधार पर मान्यता दी जाने लगी।
इस दौरान भारतीय संस्कृति, धर्म और जीवनशैली के विभिन्न आयाम विकसित हुए। विविध रंगों, कलाकृतियों और भावनाओं से भरी कला संस्कृति भी इस युग में विकसित हुई। इस दौरान भारत में हिंदी भाषा का उदय हुआ, जो अब भारत की राजभाषा है।
मध्यकालीन भारत इतिहास की एक महत्वपूर्ण अवधि थी, जो 6वीं से 16वीं शताब्दी तक चली। इस दौरान भारत के विभिन्न राज्यों में कला, संस्कृति, धर्म और विज्ञान में विकास हुआ। मध्यकालीन भारत में हिंदू, बौद्ध और इस्लाम धर्म विस्तार पाये। वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था के निर्माण का आरंभ भी इसी दौरान हुआ।
इस युग में संगीत, कला, विज्ञान, तंत्रज्ञान और साहित्य में भी विकास हुआ। सम्राट अशोक और हर्षवर्धन जैसे महान राजाओं ने भारतीय इतिहास में अपनी छाप छोड़ी। इस दौरान बहुत सारी वैज्ञानिक और गणितीय रचनाएँ भी हुईं।
इसके बावजूद इस दौरान भारत में सामाजिक और आर्थिक समस्याएं भी थीं। भारत को इस दौरान अंग्रेजों का आक्रमण भी सामने करना पड़ा। फिर भी, मध्यकालीन भारत भारतीय इतिहास में एक ऐतिहासिक दौर रहा और भारत की संस्कृति और विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रारंभिक आधुनिक भारत
प्रारंभिक आधुनिक भारत का इतिहास 18वीं शती में आरंभ हुआ। यह अवधि ब्रिटिश शासन के आगमन से संबधित थी। ब्रिटिश ने पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में व्यापार किया, जिससे भारतीय बाजार से उत्पादों का निर्यात किया गया।
ब्रिटिश शासन द्वारा धीरे-धीरे भारत के अंतर्गत बहुत सारी जगहों को अपने नियंत्रण में कर लिया गया। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद, भारत ब्रिटिश साम्राज्य का एक भाग बन गया।
आधुनिक भारत के निर्माण में, स्वाधीनता आंदोलन ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नेहरू-गांधी परिवार ने नेतृत्व किया जो स्वतंत्रता संग्राम को सफल बनाने में मददगार रहे। 1947 में, भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की।
इस अवधि में, भारत ने विभिन्न सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों का सामना किया। विदेशी शासन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, और इससे जनसंख्या वृद्धि, निर्धनता, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ा।
स्वतंत्रता के बाद, भारत ने आर्थिक विकास के लिए कई प्रयास किए। प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-1956) के अंतर्गत भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई उपाय अपनाए, जैसे कि कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना, उद्योगों को विकसित करना, नई योजनाओं को शुरू करना।
दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-1961) में भारत ने उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए अपने विकास के माध्यमों को बदलने का प्रयास किया। इस योजना के दौरान भारत ने अपनी उपक्रम उत्पादन क्षमता को बढ़ाया और सरकारी उद्योगों को विकसित किया।
तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-1966) में भारत ने उत्पादन के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया। यह योजना सूचना तंत्र के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करती थी।
चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-1974) के दौरान भारत ने समाज के अंतर्गत समानता को बढ़ावा देने के लिए अपने उपायों को बदला। इस योजना के दौरान भारत ने उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए नए और संवेदनशील विकास माध्यमों का प्रयोग किया।
इस दौरान उद्योगों के वित्तीय संरचना को सुधारने के लिए नए उपाय अपनाए गए, जैसे कि उद्यमिता को संबोधित करने वाली नई योजनाएं। इस योजना के बाद भारत ने अपनी उपक्रम उत्पादन विधि को और विकसित किया और दुनिया भर में अपनी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को मजबूत किया।
1980 के दशक में भारत ने अर्थव्यवस्था को और विकसित किया और अपनी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को मजबूत किया। इस दौरान भारत ने विदेशी निवेशकों को आमंत्रित किया और नए उद्योगों को शुरू किया।
इसके बाद, 1991 में भारत ने आर्थिक उत्थान के लिए लिबरलीकरण के लिए अपनी नीतियों में परिवर्तन किया। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को और विकसित किया गया।
इस प्रक्रिया के दौरान भारत ने उद्योगों को अनुमति दी कि वे नए बाजारों में निवेश कर सकें, और उन्हें अपने उत्पादों और सेवाओं को विदेशी बाजारों में बेचने की अनुमति दी गई। इससे भारतीय उद्योगों को अधिक नए बाजारों और ग्राहकों के लिए उपलब्ध कराया गया।
इस दौरान भारत ने अपने संचार और परिवहन के क्षेत्र में भी विस्तार किया। नए रेलवे लाइनों, सड़कों, और एयरपोर्टों का निर्माण किया गया, जो अधिक संचार और व्यवसाय के लिए उपलब्ध हुए।
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत आगमन ने भारत और अमेरिका के बीच नए संबंधों को उत्पन्न किया। भारत ने अपनी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को मजबूत किया, और विदेशी निवेशकों के लिए एक आकर्षक बाजार बना।
इस तरीके से, प्रारंभिक आधुनिक भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, उद्यमिता को बढ़ावा दिया, संचार और परिवहन के क्षेत्र में विस्तार किया, अपनी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को मजबूत किया, और नए संबंधों को उत्पन्न किया।
आधुनिक भारत
आधुनिक भारत का इतिहास अंग्रेजों के शासनकाल से शुरू होता है। इस समय भारत में अंग्रेजों का शासन स्थापित हुआ और उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था, शिक्षा और संस्कृति पर प्रभाव डाला। इसके बाद भारत ने स्वतंत्रता अभियान शुरू किया जिसके बाद 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
स्वतंत्रता के बाद, भारत दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और अन्य समाज के वर्गों के लिए विशेष उपयोग करने वाले नीतियों के साथ एक लोकतांत्रिक देश बन गया। भारत का संविधान निर्माण हुआ जो देश के नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता को संरक्षित करता है।
आधुनिक भारत का इतिहास विशेष रूप से अर्थव्यवस्था और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में विकास के साथ बढ़ता हुआ है। भारत ने उच्चतम न्यूनतम मजदूरी मानदंड और बाजार अधिकार के माध्यम से आर्थिक स्थिरता हासिल की है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़े उत्पादक और उद्यमी बनाने में अहम भूमिका निभाई है। भारत ने अंतरिक्ष, आइटी, फार्मा, जैव-प्रौद्योगिकी, विद्युत ऊर्जा, अणु ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान देकर देश को आज़ादी दिलाने के लिए संघर्ष किया। स्वतंत्रता के बाद, भारत एक लोकतांत्रिक देश बना और अपने नागरिकों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए एक संविधान निर्माण किया।
आधुनिक भारत अपनी विविधता, संस्कृति और भाषाओं के साथ एक विश्वगुरु बन गया है। भारत की आर्थिक विकास ने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उच्च विश्वस्तर परिवेश बनाया है। भारत का इतिहास एक विस्तृत और विविध इतिहास है जो इस देश के विकास और प्रगति के बारे में अधिक जानने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश
भारत एक संघीय देश है जो अपने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मिलकर बनता है। भारत में 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं। जिनकी सूचि इस प्रकार है।
भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं। निम्नलिखित टेबल में उनके नाम दिए गए हैं:
राज्य | राजधानी |
---|---|
आंध्र प्रदेश | हैदराबाद |
अरुणाचल प्रदेश | इटानगर |
असम | दिसपुर |
बिहार | पटना |
छत्तीसगढ़ | रायपुर |
गोवा | पणजी |
गुजरात | गांधीनगर |
हरियाणा | चंडीगढ़ |
हिमाचल प्रदेश | शिमला |
जम्मू और कश्मीर | श्रीनगर (सिंहासन बतालिक और जम्मू भी राजधानी हैं) |
झारखंड | रांची |
कर्नाटक | बंगलूरु |
केरल | थिरुवनंथपुरम |
मध्य प्रदेश | भोपाल |
महाराष्ट्र | मुंबई |
मणिपुर | इंफाल |
मेघालय | शिलांग |
मिज़ोरम | आइजोल |
नागालैंड | कोहिमा |
ओडिशा | भुवनेश्वर |
पंजाब | चंडीगढ़ |
राजस्थान | जयपुर |
सिक्किम | गंगटोक |
तमिलनाडु | चेन्नई |
तेलंगाना | हैदराबाद |
त्रिपुरा | अगरतला |
उत्तराखंड | देहरादून |
उत्तर प्रदेश | लखनऊ |
पश्चिम बंगाल | कोलकाता |
केंद्रशासित प्रदेश | राजधानी |
---|---|
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह | पोर्ट ब्लेयर |
चंडीगढ़ | चंडीगढ़ |
दादरा और नगर हवेली | सिलवासा |
दमन और दीव | दमन |
लक्षद्वीप | कवरत्ती |
दिल्ली | नई दिल्ली |
पुडुचेरी | पुडुचेरी |
जम्मू और कश्मीर | श्रीनगर (सिंहासन बतालिक और जम्मू भी राजधानी हैं) |
भूगोल और जलवायु
भारत एक बड़ा देश है जो दक्षिण एशिया में स्थित है। यह भूमध्यसागर के उत्तरी तट पर स्थित है और इसके पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में चीन, नेपाल, और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश, और दक्षिण में श्रीलंका है।
भारत की कुल क्षेत्रफल 3,287,263 वर्ग किलोमीटर है और इसकी लम्बाई और चौड़ाई लगभग 3,214 किलोमीटर है। भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश है और इसका भौगोलिक केंद्र उत्तरी भारत के मध्यांश में स्थित है।
भारत के भौगोलिक विभाजन के अनुसार, इसे चार क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है – हिमालयी क्षेत्र, उत्तरी सागर तट क्षेत्र, मध्य भारतीय क्षेत्र और दक्षिणी सागर तट क्षेत्र।
भारत का जलवायु भी विभिन्न भागों में अलग-अलग होता है। उत्तरी भारत में सदाबहार जंगलों से भरा होता है जबकि दक्षिणी भारत में तटीय क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय जलवायु होता है।
भारत के उत्तरी भाग में हिमालय के पर्वत श्रृंखला स्थित है जो दुनिया की सबसे ऊँची पर्वतमाला है। इस पर्वत श्रृंखला का लम्बाई समुद्रतल से लेकर उसके शीर्ष तक लगभग 2,500 किलोमीटर है जो भारत, नेपाल, भूटान, तिब्बत और पाकिस्तान में फैला हुआ है।
हिमालय पर्वत श्रृंखला कई शीर्षों, झीलों, नदियों और धाराओं के साथ भारत के उत्तरी भाग में स्थित है। इसमें कई उच्च शिखर हैं जैसे कि माउंट एवरेस्ट, कंचंजंगा, नंदादेवी, त्रिशूल, बद्रिनाथ, केदारनाथ, गोवर्धन, और मनिमहेश कलाश।
हिमालय पर्वत श्रृंखला का पानी भारत के उत्तरी भागों की नदियों को भरता है जिनमें से गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, चेनब, सुतलज और रावी मुख्य हैं। हिमालय का जंगल फूलों और जानवरों के विविधता से भरा होता है और इसमें जंगली भेड़िया, हिरण, बाघ, स्लोथ बियर, स्कंदरबग, बन गयल, मुंगूस, वन बैल और भषा आदि शामिल हैं।
अर्थव्यवस्था
भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह एक उदार और विशाल अर्थव्यवस्था है जो अपनी महत्ता के कारण विश्व अर्थव्यवस्था में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत की अर्थव्यवस्था विविधता से भरी हुई है और कृषि, उद्योग, सेवाएं और वित्तीय सेवाएं समेत कई क्षेत्रों में विकसित हुई है। भारत की अर्थव्यवस्था अधिकतर लोगों की रोजगार और आय का स्रोत है।
भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से विश्व व्यापार में अपनी बढ़ती भूमिका के कारण विशेष रूप से उद्योग विकास में ध्यान केंद्रित है। भारत की अर्थव्यवस्था में निवेश, बैंकिंग, बीमा, अनुसंधान और वित्तीय सेवाओं का विकास भी हो रहा है।
भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। जनसंख्या, गरीबी, भ्रष्टाचार, संशोधन अभाव, इंफ्लेशन, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता जैसे कुछ मुख्य चुनौतियों का सामना भारत की अर्थव्यवस्था कर रही है।
- जनसंख्या – भारत विश्व की सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में से एक है। इससे जनसंख्या नियंत्रण एक बड़ी चुनौती है।
- गरीबी – भारत में गरीबी एक बड़ी समस्या है। अधिकतर लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और वे बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
- भ्रष्टाचार – भ्रष्टाचार भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करता है। यह स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक असर डालता है।
- संशोधन अभाव – भारत में अनेक क्षेत्रों में संशोधन और नवाचार की कमी है जो अन्य देशों में उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद करता है।
- इंफ्लेशन – भारत में इंफ्लेशन का स्तर उच्च है, जो बढ़ती मूल्यों के माध्यम से आम जनता के जीवन में असमंजस का कारण बनता है।
- बेरोजगारी – भारत में बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है। अधिकांश लोग रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
- सामाजिक असमानता – भारत में सामाजिक असमानता एक बड़ी समस्या है। भारत में समाज अनेक जातियों, धर्मों और क्षेत्रों से मिलकर बना हुआ है और इन सभी तत्वों के बीच असमानता की स्थिति है।
जनसांख्यिकी
भारत एक विशाल देश है जिसकी जनसंख्या 2021 में लगभग 1.408 बिलियन है। भारत दुनिया की सबसे अधिक जनसंख्या वाली देशों में से एक है और यह संख्या अधिकतम आधार पर जनगणना आयोग द्वारा जारी की गई है।
भारत की जनसंख्या दुनिया में अधिकतम जनसंख्या वाली देशों में से एक है। इसके साथ ही, भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भी है जो अपनी जनसंख्या के अनुसार कुछ भी करने में विश्व की अन्य देशों से थोड़ी पीछे रहता है।
भारत की जनसंख्या का विस्तार एक विशाल भूमि पर फैला हुआ है जो 3.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है। जनसंख्या के आधार पर, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
भारत की जनसंख्या का एक अहम विषय है वह है जनसंख्या का विस्तार एवं उसके संख्यात्मक विस्तार का अनुमान लगाने का तरीका। जनसंख्या के विस्तार एवं उसके संख्यात्मक विस्तार का अनुमान लगाने के लिए भारत सरकार कई संगठनों की सहायता लेती है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण संगठन निम्नलिखित हैं:
जनगणना आयोग: भारत में जनगणना आयोग जनसंख्या के विस्तार का अनुमान लगाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संगठन है। जनगणना आयोग हर दस साल में देशभर में जनगणना का आयोजन करता है जिसमें वह देश की जनसंख्या का अधिकतम आंकड़ा तथा उससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण आंकड़े जानकारी देता है।
भारतीय सांख्यिकी विभाग: भारतीय सांख्यिकी विभाग जनसंख्या के विस्तार का अनुमान लगाने के लिए अन्य एक महत्वपूर्ण संगठन है। इस संगठन के द्वारा विभिन्न सांख्यिकीय आंकड़ों का संग्रह और विश्लेषण किया जाता है जो देश की जनसंख्या और उससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण विषयों को समझने में मदद करते हैं।
भारतीय जनसंख्या संस्थान: भारतीय जनसंख्या संस्थान भारत सरकार के एक महत्वपूर्ण संस्थान है जो जनसंख्या विषय पर अध्ययन और अनुसंधान करता है। यह संस्थान 1955 में स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। भारतीय जनसंख्या संस्थान के अधिकारियों द्वारा जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान और विश्लेषण किया जाता है जैसे जनसंख्या का विस्तार, जनसंख्या नियंत्रण, जनसंख्या स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि। इसके अलावा भारतीय जनसंख्या संस्थान देशभर में जनसंख्या के विषय में अनुसंधान और शोध के लिए विभिन्न संस्थाओं के साथ सहयोग भी करता है।
संस्कृति
भारत की संस्कृति दुनिया में अनुपम है। इसकी बहुमूल्य धरोहर और विविधता दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती है। भारतीय संस्कृति विशाल और विस्तृत है और अपनी अनूठी परंपराओं, संस्कृति, धर्म और भाषाओं के लिए जानी जाती है। भारतीय संस्कृति में सभ्यता की विविधता, धर्म, शास्त्र, कला, संगीत, नृत्य, वस्तु कला और शैली शामिल हैं।
भारतीय संस्कृति की एक अनूठी विशेषता उसकी संस्कृति के प्रति विश्वास है जो भारतीय लोगों में देश भक्ति, सम्मान, शांति और समानता के भाव का विकास करता है। भारतीय संस्कृति में भक्ति का अधिक महत्व होता है, जो सभी धर्मों में से कुछ के समान होता है। इसके अलावा, भारतीय संस्कृति में शिक्षा का महत्व भी है जो लोगों को समाज में जागरूक बनाता है।
भारतीय संस्कृति दुनिया के लिए एक महान उपहार है जो उसके समृद्ध इतिहास, संस्कृति और परंपराओं के लिए जानी जाती है। इससे हमें अपने संस्कृति के प्रति गर्व और सम्मान का भाव प्रगट होता है। हम अपनी संस्कृति को जीवंत रखने के लिए संस्कृति के इस धन का संरक्षण करने के लिए समर्थ होते हैं।
इससे हमें अपनी भाषा, धर्म, कला और परंपराओं के महत्व का अंदाजा होता है जो हमारे समाज के लिए आधारभूत हैं। हमें अपनी संस्कृति को अन्य देशों से अलग और विशिष्ट बनाए रखने के लिए अपनी संस्कृति की उन्नति और विकास के लिए अधिक संवेदनशील बनना चाहिए।
भारतीय पर्व
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ अनेक पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। ये पर्व और त्योहार भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और लोगों के जीवन में उत्साह, आनंद और खुशी का स्रोत हैं।
भारत के सभी धर्मों में अलग-अलग पर्व मनाए जाते हैं। हिंदू धर्म में दिवाली, होली, नवरात्रि, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, दुर्गा पूजा, शिवरात्रि आदि उल्लास के साथ मनाए जाते हैं। सिख धर्म में गुरुपर्व, बैसाखी, दिवाली और होली मनाए जाते हैं। मुस्लिम समुदाय में ईद-उल-फ़ितर, ईद-उल-अज़हा, मुहर्रम, रमज़ान आदि पर्व मनाए जाते हैं। इसके अलावा, ईसाई धर्म में क्रिसमस, ईस्टर, पेंटेकोस्ट आदि पर्व मनाए जाते हैं।
भारत के पर्वों और त्योहारों के पीछे भारतीय संस्कृति की अमूल्य विरासत होती है जो समृद्ध होती चली जा रही है। ये पर्व और त्योहार लोगों को एक-दूसरे के साथ जुड़ने, अपने संप्रदाय और परंपराओं के साथ जुड़ने के अलावा, भारत के पर्वों और त्योहारों का अन्य एक महत्वपूर्ण पहलू है कि ये लोगों को उनकी असली भावनाओं को समझने और सम्मान करने की शिक्षा देते हैं।
ये पर्व और त्योहार लोगों को एक-दूसरे के साथ मेलजोल, आदर, सम्मान और प्रेम के भावों का संचार करते हैं। इसके अलावा, इन पर्वों और त्योहारों के दौरान लोग अपने दुःखों, अंगों के दर्दों और उत्साह के साथ अपने जीवन के महत्वपूर्ण पलों को साझा करते हैं।
भारत के पर्वों और त्योहारों की विशेषता यह है कि ये सभी धर्मों और संस्कृतियों को एकता के साथ जोड़ते हुए मनाए जाते हैं। ये पर्व और त्योहार भारतीय संस्कृति की अमूल्य धनी विरासत होते हैं जो देश को दुनिया में अलग-अलग संस्कृतियों के बीच एकता के साथ उभारते हैं।
भारत की जनजातियां
भारत देश विविधताओं का देश है जिसमें अनेक जातियां रहती हैं। इन जातियों के बीच संबंधों, समाज के ढांचे, संस्कृति और रीति-रिवाज आदि में थोड़ा भेदभाव होता है। भारत के नागरिक अनेक जातियों से जुड़े हुए हैं और इन जातियों का जीवन अलग-अलग तरीके से चलता है।
भारत की प्रमुख जनजातियों में हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध और इसाई शामिल हैं। इनमें से हिंदू जनजाति सबसे बड़ी जनसंख्या वाली जाति है जो देश के अधिकांश हिस्सों में रहती है। सिख जनजाति पंजाब राज्य में, मुस्लिम जनजाति कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम और अंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में, जैन जनजाति राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में और इसाई जनजाति दक्षिण भारत में पाए जाते हैं।
इन जनजातियों के बीच कुछ भेदभाव वाले मुद्दे हैं, जो कभी-कभी उनके संबंधों पर असर डालते हैं। हालाँकि भारतीय संस्कृति में एकता, समानता और भाईचारे की भावना होती है। भारत की संस्कृति अत्यंत विविध होती है, और इसमें कई जातियां, धर्म, भाषाएं और संस्कृतियों के लोगों का समावेश होता है।
हालांकि, इस विविधता के बावजूद, भारतीय संस्कृति में लोगों के बीच एकता और समानता की भावना होती है। इसका उदाहरण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाए जाने वाले त्योहार हैं, जिनमें लोगों के बीच एकता और भाईचारे की भावना होती है। भारत में समानता की भावना का सबसे बड़ा उदाहरण उसके संविधान में शामिल है, जो सभी लोगों को भारत के नागरिकों के रूप में समान अधिकार देता है।