हमारे सौर मंडल के केंद्र मे “सूर्य” स्थित है. सूर्य आठ ग्रहों का मुखिया है. इन ग्रहों मे कम से कम 46 उपग्रह और एस्टीरायड या छोटे ग्रह और हजारों उल्काये है. मंदाकिनी के केंद्र से लगभग तीस हजार से लेकर तैतीस हजार प्रकाश वर्ष की दुरी पर एक कोने मे “सौर् मंडल” स्थित है. इसका जन्म गॅस और धूल की घुमने वाली एक पट्टी से हुआ है. इसी घुमने वाली पट्टी से “ग्रह” और “सौर मंडल” के शेष सद्स्य निकले है.
“ग्रह” यह शब्द “अंग्रेजी” के शब्द “प्लानेट” और “ग्रीक” के शब्द “प्लेटेनस” से बना है. प्लेटेनस का अर्थ घुमक्कड़ होता है. आकाश मे हमेशा स्थिर दिखाई देने वाले तारों से अलग, ये ग्रह अपनी स्थिती बदलते रहते है और कभी कभी गायब भी हो जाते है. इसीलिये इन्हे प्लेनेट या घुमक्कड़ ग्रह कहा जाता है. इन सभी ग्रहों के नाम “रोमन भगवानों” के उपर रखे गये है. जिसका अलग अलग अर्थ है. जैसे-
- “मरक्यूरी” ग्रह का अर्थ “वाणिज्य वाकचातुयता से परिपूर्ण” होता है.
- “विनस” ग्रह का अर्थ “वसंत में खिला हुआ देवी का सौंदर्य” होता है.
- “मार्स’ ग्रह का अर्थ “युद्ध का देवता” होता है.
- “जुपिटर” का अर्थ “सभी व्यक्ती और भगवानो का शाशक” होता है.
- “सैटर्न” ग्रह का अर्थ “कृषी का भगवान” होता है.
- “उरेनस” ग्रह का अर्थ “स्वर्ग का भगवान” होता है.
- “नेपचून” ग्रह का अर्थ “समुंद्र का भगवान” होता है.
>> ग्रहों का विभाजन आंतरिक ग्रह और बाह्य ग्रहों के रूप मे किया गया है. आन्तरिक ग्रहों मे बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल का समावेश है.
>> “पृथ्वी” आंतरिक ग्रहों मे सबसे बडी और घनी है. सभी आंतरिक ग्रह घने चट्टानों से बने है. इन्हे पार्थीव ग्रह कहा जाता है, क्योंकी ये पृथ्वी के समान है.
>> बाह्य ग्रहों मे ब्रह्स्पती, शनि, उरेनस और नेपचून इनका समावेश है. ये बहुत बडें ग्रह है और इनका बडा उपग्रहीय परिवार है. ये हैड्रोजन हिलीयम गँस से बने है, ये सभी ग्रह बडी तेजी से घुमते है. इनका वातारण घना है और ये आंतरिक या पार्थिव ग्रहों की अपेक्षा अधिक महीन तत्वों से बने है.
दोस्तों हम राशि भविष्य नही मानते, लेकिन ये मानना जरुरी है कि, ग्रहों के नाम तक भगवानों के नामो से प्रेरित है. हम भी इसी ब्रह्मांड का हिस्सा है, कुछ जीवन से जुडी घटनाओं को भी हमने ग्रहों के हिसाब से देखना चाहियेंं. हमारे पुराणोंं मे भी ॠुषी मुनियोंं ने इसका उल्लेख किया है.
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